नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए ‘कैश टैक्स’ लगाने की योजना बना रही है। माना जा रहा है कि बैंक अकाउंट से एक तय सीमा से अधिक कैश निकालने पर यह टैक्स लगेगा। अंग्रेजी बिजनेस न्यूजपेपर ईकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक बड़े कैश लेन-देन को हतोत्साहित करने के उपायों पर भी बातचीत हो रही है और इस प्रस्ताव को बजट में लाया जा सकताहै। हालांकि इस पर आखिरी फैसला प्रधानमंत्री और उनके मंत्री लेंगे।
क्यों लाया जा रहा है नया टैक्स
- कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए सरकार नया टैक्स लगाने पर विचार कर रही है।
- सरकार ने पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के बाद डिजिटल ट्रांजैक्शंस बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
- एक अधिकारी के मुताबिक कैश टैक्स पर अभी विमर्श हो रहा है। बजट के साथ इसका ऐलान किए जाने की काफी संभावना है। इस खबर के लिए नाम नहीं छापने की शर्त पर अधिकारियों ने बात की।
घटेगी बैंकों की करेंसी ऑपरेशन लागत और बढ़ेगा टैक्स
- विशेषज्ञों का कहना है कि क्रेडिट कार्ड की सालाना फी, पॉइंट ऑफ सेल ट्रांजैक्शन चार्ज के चलते डिजिटल पेमेंट की एक कॉस्ट है, लेकिन भारी मात्रा में कैश की लागत इकॉनमी के लिए उससे कहीं ज्यादा है।
- जनवरी 2015 में ‘कॉस्ट ऑफ कैश इन इंडिया’ नाम की एक स्टडी हुई थी। इसमें दावा किया गया था कि RBI और कमर्शल बैंकों के सालाना करेंसी ऑपरेशन की लागत 21,000 करोड़ रुपए है।
- मास्टरकार्ड की तरफ से यह स्टडी दूसरी एजेंसी ने की थी। नोटबंदी के बाद सरकार की तरफ से कहा गया है कि करंसी की कॉस्ट कम होने से अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। सरकार का यह भी कहना है कि डिजिटल पेमेंट बढ़ने से टैक्स चोरी भी कम होगी।
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SIT ने भी दिए थे कैश पर रोक लगाने के सुझाव
- ब्लैकमनी पर बनी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने 3 लाख रुपए से ज्यादा के कैश सौदों पर पाबंदी लगाने का सुझाव दिया था। उसने एक आदमी के लिए कैश होल्डिंग की 15 लाख रुपए की सीमा तय करने की भी सिफारिश की थी।
पार्थसारथी सोम की अध्यक्षता वाली कमिटी ने भी की थी सिफारिश
- पार्थसारथी सोम की अध्यक्षता वाले टैक्स ऐडमिनिस्ट्रेशन रिफॉर्म कमीशन ने भी बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स को फिर से लगाने का सुझाव दिया था।
- उन्होंने कहा था कि सेविंग अकाउंट्स को छोड़ दें तो ऐसा कोई तरीका नहीं है, जिससे बैंक खातों से निकाले जाने वाली रकम की जानकारी मिल सके। पिछले साल दिसंबर में डिजिटल पेमेंट में 43 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
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