नई दिल्ली। आपको याद होगा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में खाने की बर्बादी रोकने की अपील लोगों से की थी। अब जो लोग होटलों में भोजन बर्बाद किया करते थे उन पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्रालय अब यह तय करने की दिशा में कदम उठा रहा है कि होटल्स और रेस्तरां में कितना भोजन परोसा जाए। दरअसल सरकार की योजना है कि होटल और रेस्तरां में सिर्फ उतना ही खाना परोसा जाए जिससे किसी व्यक्ति का पेट भी भर जाए और खाने की बर्बादी भी न हो।
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खाने की बर्बादी रोकने के लिए बनेगा कानून
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार खाने की बर्बादी को रोकने के लिए नया कानून बनाने की तैयारी कर रही है। सरकार ने इसके लिए उपभोक्ता संरक्षण कानून में संशोधन करने जा रही है। उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि यदि एक शख्स सिर्फ दो प्रॉन्स खा सकता है, तो उसे होटल में 6 क्यों परोसा जाए। इसी प्रकार यदि एक मेहमान होटल में दो इडली खाने की क्षमता रखता है दो उसे बर्बाद करने के लिए 4 इडलियां क्यों परोसी जाए। पासवान ने कहा कि ये खाने की और पैसे दोनों की बर्बादी है। लोग उसके लिए भुगतान करते हैं जिसका वह इस्तेमाल भी नहीं कर पाते हैं।
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हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता, खाद्य और लोक वितरण मंत्रालय होटलों और रेस्तरां के लिए एक प्रश्नावली तैयार कर रहा है, जिसमें उनसे ये पूछा जाएगा कि एक सामान्य उपभोक्ता की थाली में भोजन की मात्रा कितनी होनी चाहिए। पासवान ने कहा कि इस अन्न की बर्बादी को रोकने के लिए होटलों और रेस्तरां को इस मुहिम में साझीदार बनाया जाएगा।
पासवान के मुताबिक होटलों से प्रश्नावली का जवाब मिलने के बाद उन्हें दिशानिर्देश जारी किया जाएगा कि वे कितनी मात्रा में ग्राहकों को भोजन परोसें। हालांकि, केंद्र सरकार का यह नियम सिर्फ स्टैंडर्ड होटलों पर ही लागू होगा, और सड़क किनारे थाली परोसने वाले ढाबे इस दायरे में नहीं आएंगे। केंद्र सरकार ने इस बिल के मसौदे को कानून मंत्रालय के पास भेज दिया है।