नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार इस बजट में गरीबों और बेरोजगारों को हर महीने 1500 रुपए देने का ऐलान कर सकती है। माना जा रहा है कि सरकार की इसकी घोषणा बजट में कर सकती है। हालांकि, इस बात को लेकर अभी राय बंटी हुई है कि इसे यूनिवर्सल बेसिक स्कीम बनाया जाए या इसके जरिए केवल सबसे कमजोर तबके को मदद दी जाए। देश में गरीबी की समस्या को कम करने के लिए इस स्कीम पर विचार किया जा रहा है।
यह भी पढ़े: मोदी सरकार जल्द देगी आम आदमी को बड़ा तोहफा, अब सबके अकाउंट में आएंगे इतने पैसे !
नई योजना के फायदे और नुकसान पर जारी है मंथन
- अंग्रेजी बिजनेस न्यूजपेप इकोनॉमिक टाइम्स को एक अधिकारी ने बताया कि इस स्कीम के फायदे और नुकसान पर विचार किया जा रहा है।
- उनका कहना है कि इस तरह की स्कीम का सही लोगों तक पहुंचाने में समस्या आ सकती है।
- इसके साथ ही वित्तीय घाटा भी बढ़ता है। उन्होंने कहा कि इस सभी कारकों को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा।
तस्वीरों में देखिए नए नोट को
Rs 500 and 1000
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
सभी पहलुओं पर हो रहा है विचार
- अधिकारी ने बताया कि देश के 200 मिलियन (20 करोड़) लोगों को प्रति महीने 1500 रुपए की राशि दिए जाने पर सरकार पर 3 लाख करोड़ का भार पड़ेगा।
- इसके अलावा संसाधन जुटाना भी जटिल होगा।
- सरकार वित्तीय वर्ष 2018 तक वित्तीय घाटे को जीडीपी के 3 फीसदी तक लाना चाहती है।
- हालांकि अगर नोटबंदी के फैसले और जीएसटी लागू होने से सरकार को संसाधनों की प्राप्ति होती है तो सरकार इस स्कीम को लॉन्च करने के लिए अच्छी स्थिति में होगी।
- इस स्कीम के दायरे में ऐसे बेरोजगार लोगों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है, जिनके पास कमाई का कोई साधन नहीं है।
- साथ ही, एक विचार गृहिणियों को भी शामिल करने हो रहा है क्योंकि वह इस स्कीम से मिलने वाले फंड का सही तरह से उपयोग कर सकती है।
तस्वीरों में देखिए कैसे छोटे-छोटे विक्रेता कर रहे हैं Paytm का इस्तेमाल
Paytm
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
यूनिवर्सल बेसिक इनकम क्या है
- यूनिवर्सल बेसिक इनकम, सोशल सिक्योरिटी (सामाजिक सुरक्षा) का रूप है, जिसमें देश में रहने वाले सभी नागरिकों को बिना किसी शर्त के एक फिक्स समय में एक निश्चित पैसे मिलते हैं।
- यह राशि सरकार या फिर कुछ पब्लिक संस्थाओं द्वारा दी सकती है।
- गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों को बिना शर्त इनकम ट्रांसफर को एक आंशिक बुनियादी आय के रूप में जाना जाता है।
भारत में भी चल चुके हैं ऐसे पायलट प्रोजेक्ट
- हमने इंदौर के 8 गांवों की 6,000 आबादी के बीच 2010 से 2016 के बीच इस स्कीम का प्रयोग किया।
- इसमें पुरुष-महिला को 500 और बच्चे को हर महीने 150 रुपए दिए गए।
- इन पांच सालों में इनमें अधिकतर ने इस स्कीम का लाभ मिलने के बाद अपनी आय बढ़ा दी।
- दिल्ली में लगभग दो सौ लोगों के बीच प्रयोग सफल रहा।