वाशिंगटन। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि नोटबंदी का निर्णय अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था और इससे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को दो प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। गांधी दो सप्ताह की अमेरिका यात्रा पर आए हुए हैं और वह समकालीन भारत एवं विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का भविष्य मुद्दे पर बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 8 नवंबर का नोटबंदी का फैसला मुख्य आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया था और इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी से देश को भयानक कीमत चुकानी पड़ी है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि,
भारत के बेमिसाल संस्थागत ग्यान को नजरअंदाज कर इस तरह का निर्णय लेना मूर्खतापूर्ण और खतरनाक है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत में हर रोज 30 हजार नए युवा श्रम बाजार में पहुंच रहे हैं जबकि सरकार प्रति दिन के हिसाब से रोजगार के महज 500 अवसर मुहैया करा पा रही है। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में गिरावट से आज देश में लोगों की नाराजगी बढ़ रही है। सरकार की नोटबंदी और हड़बड़ी में लाए गए जीएसटी जैसी आर्थिक नीतियों से खतरनाक नुकसान हुआ है।
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राहुल गांधी ने सरकार पर नोटबंदी से लाखों लोगों को तबाह करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के परिणाम के रूप में लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए। किसान एवं अन्य लोग जो नकदी का इस्तेमाल करते हैं, बुरी तरह प्रभावित हुए। कृषि काफी बुरी स्थिति में है और देश में किसानों की आत्महत्याएं आसमान छू रही हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि नोटबंदी से आई गिरावट पूर्वानुमान के हिसाब से ही है और मध्यम तथा लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था को इससे लाभ मिलेगा। जेटली का यह बयान तब आया जब रिजर्व बैंक ने कहा कि बंद किए नोटों में से 99 प्रतिशत बैंकिंग प्रणाली में लौट आए हैं। जेटली ने यह भी कहा था कि बैंकों में पैसे के जमा होने का मतलब सारे नोटों का वैध होना नहीं है।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत मौजूदा दर की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन की रफ्तार से आगे बढ़ने का जोखिम नहीं उठा सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हम इसी दर से आगे बढ़ते रहे, यदि भारत श्रम योग्य आयु में प्रवेश कर रहे लाखों युवाओं को रोजगार उपलब्ध नहीं कराता है तो इससे नाराजगी बढ़ेगी। इससे अब तक जो भी हासिल हुआ है वह सब समाप्त होने का खतरा है। यह स्थिति भारत और शेष विश्व के लिए काफी नुकसानदायक होगी।
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कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि आज देश के सामने मुख्य चुनौती रोजगार सृजन करना है। उन्होंने कहा कि देश में हर साल करीब 1.2 करोड़ युवा श्रम योग्य आयु में पहुंच जाते हैं। इनमें से करीब 90 प्रतिशत हाई स्कूल या कमतर शिक्षा प्राप्त होते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहां जोर जबरदस्ती वाला चीनी तरीका नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि हमें चीन के तौर तरीकों से हटकर लोकतांत्रिक माहौल में रोजगार के अवसर सृजित करने होंगे। हम कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित बड़े-बड़े कारखानों का मॉडल नहीं अपना सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भारत में नौकरियां छोटे एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों से आएंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को भारी संख्या में छोटे एवं मध्यम उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में तब्दील करना होगा।
गांधी ने आरोप लगाया कि भारत में इस समय शीर्ष सौ कंपनियों पर ही सारा ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, सब कुछ उनके लिए उपलब्ध है, बैंकिंग प्रणाली पर उनका एकाधिकार है और सरकार के दरवाजे भी उनके लिए हमेशा खुले हुए हैं। उनके ही द्वारा कानून के बारे में सुझाव दिए जा रहे हैं।
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उन्होंने आगे कहा कि छोटे एवं मध्यम कारोबार चला रहे उद्यमियों को कर्ज लेने में मशक्कत करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा, उन्हें कोई समर्थन या संरक्षण नहीं मिल पा रहा है। छोटे एवं मध्यम उद्योग भारत और विश्व के नवाचार के आधार हैं। बड़े कारोबारी भारत में अप्रत्याशित स्थिति का आसानी से सामना कर सकते हैं। वे अपनी भारी-भरकम संपात्ति और ऊंचे संपर्कों के दम पर संरक्षित हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत ने मानव बदलाव की वृहद प्रक्रिया की शुरुआत की है। भारत की यह पहल प्रभावी है। उन्होंने कहा कि हमारी सफलता विश्व को प्रभावित करती है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस रफ्तार को नफरत, नाराजगी और हिंसा खत्म कर सकती है।
राहुल गांधी ने उदारवादी पत्रकारों की हत्या की बात करते हुए कहा कि,
भारत में ध्रुवीकरण की राजनीति सिर उठा रही है। वह इशारों में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का हवाला दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि लोगों को दलित होने के कारण मारा जा रहा है। मुस्लिमों को गोमांस खाने के संदेह पर मार दिया जाता है। यह सब भारत में नया है और इसने भारत को काफी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि नफरत की राजनीति भारत को बांट रही है और लाखों लोगों को ऐसा महसूस होने लगा है कि अपने देश में ही उनका कोई भविष्य नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि आज की आपस में जुड़ी दुनिया में यह बेहद खतरनाक है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने मोदी को खुद से बेहतर वक्ता बताते हुए कहा कि मैं विपक्ष का एक नेता हूं। लेकिन मोदी मेरे भी प्रधानमंत्री हैं। मोदी के पास कुछ कुशलताएं हैं। वह एक अच्छे वक्ता हैं। संभवत: मुझसे काफी बेहतर। उन्हें यह मालूम है कि भीड़ में तीन-चार समूहों तक कैसे बेहतर ढंग से अपनी बात पहुंचाई जा सकती है। अपनी बात बेहतर तरीके से पहुंचाने की उनकी क्षमता बेहतर है।
उन्होंने मोदी की प्रमुख योजनाओं मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत को अच्छा विचार बताया। हालांकि, उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया का उनका अपना विचार कुछ हटकर है। राहुल ने कहा कि वह मेक इन इंडिया में छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों पर अधिक ध्यान देना चाहेंगे।