नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने प्रस्ताव किया है कि आदर्श वस्तु एवं सेवा कर विधेयक में टैक्स की अधिकतम मुख्य दर को प्रस्तावित 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक रखने का प्रावधान किया जाना चाहिए। ताकि भविष्य में दर बढ़ाने के लिए संसद के पास जाने की जरूरत न पड़े।
इसका मतलब होगा कि केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी दोनों ही 20 प्रतिशत तक टैक्स वसूल सकते हैं, इससे अधिकतम टैक्स की दर 40 प्रतिशत तक करने की छूट होगी।
मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने कहा कि अधिकतम दर में बदलाव से 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत वाले मौजूदा चार स्लैब के टैक्स ढांचे में कोई बदलाव नहीं होगा। लेकिन पहले से किया गया इस तरह का प्रावधान आदर्श कानून में भविष्य में किसी आकस्मिक जस्रत से आसानी से निपटने में सहायक होगा।मॉडल GST कानून के संशोधित मसौदे को पिछले साल नवंबर में सार्वजनिक किया गया था।
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- इस नई व्यवस्था में टैक्स की मुख्य दर 14 प्रतिशत (14 प्रतिशत केंद्रीय GST और 14 प्रतिशत राज्य GST), कुल 28 प्रतिशत रखने का प्रावधान किया गया है।
- कानून के मसौदे में कहा गया है कि वस्तुओं और सेवाओं की एक राज्य के अंदर की जाने वाली आपूर्ति पर टैक्स लगाया जाएगा, जिसे केंद्रीय या राज्य वस्तु एवं सेवा कर (CGST-SGST) कहा जाएगा।
- इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दरें अधिसूचित की जाएंगी, जो 14 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगी।
- अधिकारियों ने कहा कि अब 14 प्रतिशत को बदलकर 20 प्रतिशत किया जाएगा। यानी टैक्स दरें इससे अधिक नहीं होंगी।
- वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली GST परिषद ने कानून में कर की ऊपरी दर की सीमा 20 प्रतिशत पर रखने की सहमति दी है।
- परिषद में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- GST परिषद ने ऊपरी सीमा को 20 प्रतिशत रखने की सहमति दी है जिससे भविष्य में दरों में बढ़ोतरी के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं हो और परिषद खुद दरें बढ़ा सके।