नई दिल्ली। प्याज के चढ़ते दाम पर अंकुश लगाने के लिए आपूर्ति बढ़ाने के वास्ते सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी ने विदेशों से 6,090 टन प्याज आयात का अनुबंध किया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह ही 1.2 लाख टन प्याज आयात को मंजूरी दी है।
सरकार ने 100 रुपए प्रति किलो पर पहुंचे प्याज के खुदरा दाम पर अंकुश लगाने के लिए यह फैसला किया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्याज का दाम 70 रुपए किलो के आसपास चल रहा है। उपभोक्ता मामलों के सचिव ए.के. श्रीवास्तव ने प्याज के दाम, उसकी आपूर्ति और दाम को लेकर विभिन्न राज्य सरकारों के साथ समीक्षा बैठक की थी।
सू्त्रों ने बताया कि एमएमटीसी ने 6,090 टन प्याज का अनुबंध किया है। यह अनुबंध मिस्र से किया गया है और इसकी खेप जल्द ही मुंबई बंदरगाह पर पहुंच जाएगी। सूत्रों के अनुसार एमएमटीसी को जहां एक तरफ प्याज के आयात का काम दिया गया है वहीं सहकारी क्षेत्र की संस्था नेफेड रसोई में काम आने वाली इस महत्वपूर्ण सामग्री की घरेलू बाजार में आपूर्ति करेगी।
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने 19 नवंबर को कहा था कि खरीफ और खरीफ के आखिरी दौर में होने वाली प्याज की पैदावार में 26 प्रतिशत तक कमी आने का अनुमान है। प्याज का उत्पादन 2019-20 के खरीफ मौसम में घटकर 52 लाख टन रहने का अनुमान व्यक्त किया गया। इससे प्याज की आपूर्ति और दाम पर दबाव बढ़ गया। पासवान ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा की प्याज की फसल मौसमी होती है। रबी मौसम में मार्च से जून के दौरान इसकी पैदावार होती है, जबकि खरीफ की फसल अक्टूबर से दिसंबर और खरीफ आखिरी दौर की फसल जनवरी-मार्च में होती है।
जुलाई से अक्टूबर अवधि में भंडारगृहों में रखे प्याज की बाजार में आपूर्ति होती है। पासवान ने अपने विस्तृत जवाब में कहा कि वर्ष 2019- 20 के दौरान मानसून आने में देरी हुई जिसकी वजह से प्याज की खेती में भी तीन से चार सप्ताह की देरी हुई साथ ही खरीफ मौसम में प्याज का बुवाई क्षेत्र भी कम रहा। इसके अलावा कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भारी वर्षा के चलते प्याज की फसल को नुकसान हुआ। इसके परिणामस्वरूप खरीफ फसल में उत्पादन का नुकसान हुआ। इससे आपूर्ति प्रभावित हुई और दाम में तेजी बन गई।