नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन के मामलों में सिलेब्रिटी और मिलावट में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के बारे में सख्त कानूनी उपायों पर अंतिम फैसला करने से पहले सरकार अन्य देशों के कानूनों का अध्ययन करेगी। वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने यह फैसला किया। सूत्रों ने बताया कि उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। जुर्माने की रकम को एक करोड़ रुपये से ज्यादा तक रखने संबंधी सुझाव मिले हैं। प्रस्तावित विधायी मसौदे में भ्रामक विज्ञापन करने वाली सिलेब्रिटी को पांच साल तक की जेल और 50 लाख रुपए के अर्थदंड का प्रावधान है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने बैठक के बाद बताया, लंबी चर्चा हुई। इसे (मसौदा विधेयक) को अंतिम रूप नहीं दिया गया। हमने विज्ञापन करने वाले सेलिब्रिटी और मिलावट में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में अन्य देशों के कानूनों के अध्ययन का फैसला किया है। हम अध्ययन करेंगे और सम्बद्ध सूचना को आगामी बैठक में रखेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर दिया जाएगा। पासवान ने कहा, संसद का आगामी सत्र नवंबर में है। कानून के मसौदे को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय है। मंत्री समूह की अनौपचारिक बैठक में पासवान के साथ साथ विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद व खाद्य राज्य मंत्री सी एल चौधरी भी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने पिछले साल अगस्त में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2015 लोकसभा में पेश किया ताकि 30 साल पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून को हटाया जा सके। संसद की स्थाई समिति ने अपनी सिफारिशें अप्रैल में सौंप दीं। समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कुछ प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार किया जिनमें सेलिब्रिटी की जवाबदेही तय करना और मिलावट के लिए कड़ा दंड आदि शामिल है। सूत्रों ने कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को मसौदा नियमों पर अन्य मंत्रालयों से टिप्पणियां मिल गई हैं। लगभग सभी मंत्रालयों ने भ्रामक विज्ञापन करने वाली सेलिब्रिटी और मिलावट करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने सहित अन्य प्रावधानों पर कोई आपत्ति नहीं जताई है।