नयी दिल्ली। कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय चाहता है कि धोखाधड़ी में घिरी सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन अपने पिछले पांच वित्त वर्ष के खातों को ठीक कर फिर से जारी करे। ताकि कंपनी की असली वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके और साथ ही कंपनी के भूतपूर्व प्रवर्तक गौतम थापर से जुड़ी कंपनियों पर बकाया रकम को भी इसमें दर्शाया जाए।
सूत्रों ने बताया कंपनी में धोखाधड़ी सामने आने के कुछ समय बाद ही कंपनी के नए प्रबंधन ने 30 अगस्त को ही पिछले पांच वर्ष के खातों को ठीक कर फिर जारी करने की इच्छा जतायी थी। अब इस प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई शाखा के समक्ष कंपनी और उसकी अनुषंगियों के बही-खातों को फिर से देखने की अनुमति की अर्जी लगायी है। मंत्रालय 2014-15 से कंपनी के बही-खातों की फिर से जांच करना चाहता है।
मंत्रालय इससे पहले गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को कंपनी के 15 अन्य कंपनियों के साथ लेनदेन की जांच करने के लिए कह चुका है। इसमें उसकी दो अनुषंगियां सीजी पावर सॉल्यूशंस लिमिटेड और सीजी इंटरनेशनल बीवी शामिल हैं। कंपनी ने अपनी हालिया जांच में पाया कि नौ गलत लेनदेन की वजह से उसे करीब 3,300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। अगस्त में कंपनी ने बताया था कि उसके निदेशक मंडल ने एक जांच में कंपनी के भीतर कामकाज में कोताही (गवर्नेंस) को लेकर भारी गड़बड़ियां और वित्तीय अनियमिताएं पायी हैं। इसी के चलते कंपनी अपने चेयरमैन को भी बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।