नई दिल्ली। देशवासियों को जल्द ही माल एवं सेवा कर (GST) में सरल दर संरचना देखने को मिल सकती है। वित्त मंत्रालय ने जीएसटी प्रणाली के तहत मौजूदा कर स्लैब, जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं की समीक्षा करने और कर चोरी के संभावित स्रोतों की पहचान करने के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों की दो समितियां गठित की हैं। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को अमल में लाने के चार साल बाद अब केंद्र और राज्यों ने इसके तहत वर्तमान कर दर स्लैब की समीक्षा कर जीएसटी में सरल दर संरचना की दिशा में बढ़ने पर काम शुरू किया है। इसमें विशेष दरों को लेकर विचार करने के साथ ही स्लैब की कर दरों के विलय पर भी विचार किया जा सकता है।
जीएसटी दर को तर्कसंगत बनाने वाला मंत्रियों का समूह (जीओएम) रिफंड भुगतान को कम से कम करने के लिए उल्टा शुल्क ढांचे की समीक्षा करेगा। इसके साथ ही मंत्री समूह जीएसटी प्रणाली के तहत छूट के दायरे में आने वाली सेवाओं और सामानों की आपूर्ति की भी समीक्षा करेगा। इस समीक्षा के पीछे उद्देश्य कर आधार को व्यापक बनाना और इनपुट टैक्स क्रेडिट की श्रृंखला के टूटने की स्थिति को समाप्त करना है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता वाली इस समिति में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा, केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल, बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सहित अन्य सदस्य होंगे। सात सदस्यीय यह समिति इस मामले को लेकर दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जीएसटी की मौजूदा व्यवस्था में आवश्यक वस्तुओं पर या तो कोई कर नहीं लगाया जाता अथवा पांच प्रतिशत की सबसे कम दर पर जीएसटी लगाया जाता है। वहीं कार आदि पर 28 प्रतिशत की सबसे ऊंची दर पर जीएसटी लगाया जाता है। अन्य स्लैब 12 और 18 प्रतिशत की दो मध्यम दर हैं। वहीं विलासिता, अहितकर मानी जाने वाली वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की सबसे ऊंची दर पर कर लगाने के साथ ही उसके ऊपर उपकर भी लगाया जाता है।
हाल के वर्षों में जीएसटी की 12 और 18 प्रतिशत की दर को मिलाकर एक दर करने की मांग समय-समय पर उठी है। इसके साथ ही जिन वस्तुओं की जीएसटी से छूट मिली है उनमें से कुछ पर छूट समाप्त करने का सुझाव दिया गया ताकि स्लैब को तर्क संगत बनाने से राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव को संतुलित किया जा सके। उल्टी शुल्क संरचना के संबंध में, जीएसटी परिषद पहले ही मोबाइल हैंडसेट, जूते और वस्त्र के मामले में दर की विसंगति को ठीक कर चुकी है।
मंत्रिस्तरीय समिति अब उल्टी शुल्क संरचना के अभ्यावेदनों पर ध्यान देगी और ऐसे किसी भी मामले को खत्म करने के लिए उपयुक्त दरों की सिफारिश करेगी जहां अंतिम उत्पाद पर उसके इनपुट पर लगाए गए कर की तुलना में कम जीएसटी लगता है। वहीं जीएसटी प्रणाली सुधारों से जुड़ा मंत्री समूह (जीओएम) कर चोरी के संभावित स्रोतों की पहचान करेगा और राजस्व में कमी को रोकने के लिए व्यावसायिक प्रक्रियाओं तथा आईटी प्रणालियों में बदलाव का सुझाव देगा। इसके लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय समिति में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी टी राजन और छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री टी एस सिंह देव सहित अन्य मंत्री शामिल होंगे।
समिति कर अधिकारियों के पास उपलब्ध आयकर साधनों एवं इंटरफेस की समीक्षा करेगी तथा उन्हें और ज्यादा कारगर बनाने के तरीके सुझाएगी। बेहतर कर अनुपालन के लिए डेटा विश्लेषण के संभावित इस्तेमाल की पहचान करेगी तथा केंद्रीय एवं राज्य कर अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय के तरीके सुझाएगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने गत 17 सितंबर को हुई बैठक में इन दो मंत्री समूहों का गठन करने का फैसला किया था।
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