नई दिल्ली। नीति आयोग के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर (एसीआईसी) कार्यक्रम की शुरुआत के मौके पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नवोन्मेष के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत अगले पांच साल में जीवाश्म ईंधन का सबसे बड़ा उपभोक्ता बन जाएगा, जो कि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को तेज करने व 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
कच्चे तेल के आयात का खर्च घटाने की जरूरत
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कच्चे तेल के आयात का खर्च घटाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत का कच्चा तेल आयात खर्च सालाना छह लाख करोड़ रुपये है और अगले 15 साल में देश जीवाश्म ईंधन का सबसे बड़ा उपभोक्ता बन जाएगा। क्या अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर (एसीआईसी) ऐसे नवोन्मेषी तरीके सामने ला सकता है जो देश का कच्चे तेल के आयात का बोझ कम कर सके? भारत बिना नवोन्मेष के पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था नहीं बन सकता है। प्रधान ने नीति आयोग की इस मुहिम को समर्थन देने के बारे में कहा कि उन्होंने सरकारी तेल एवं गैस कंपनियों को अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत इस मुहिम की मदद करने का निर्देश दिया है। आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने इस मौके पर कहा कि इस मुहिम को देश के 484 जिलों में शुरू किया जाएगा।
एसीआईसी से शोध के क्षेत्र में दिखेंगे असाधारण परिणाम
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि अटल इनोवेशन मिशन के अंतर्गत अटल टिनकरिंग लैब के लिए 8800 स्कूलों का चयन किया गया है जबकि अटल इनक्यूबेटर प्रोग्राम के लिए 100 उच्च संस्थानों को चयनियत किया गया है। इस अभियान से देश में शोध के क्षेत्र में असाधारण परिणाम देखने को मिलेंगे। अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर (एसीआईसी) इंजीनियरिंग और तकीनीकी विषयों के विशेषज्ञों को एक ऐसा मंच प्रदान करेगा जहां से वह अपने शोध को न सिर्फ और परिमार्जित कर सकेंगे बल्कि समाज के हित में उसके अनुप्रयोग को बढ़ावा देंगे। खास बात यह है कि यह केंद्र देश के उन छोटे शहरों में प्राथमिकता के साथ शुरू किए जाएंगे जो शैक्षणिक एवं शोध गतिविधियों के लिहाज से अब तक सुविधा विहीन रहे हैं। मंत्री ने कहा कि उत्तर पूर्व से लेकर जम्मू एवं कश्मीर के छोटे जिलों में इनकी स्थापना लोकतंत्र की विकासशील अवधारणा को मजबूत करेगा। समाज के निचले स्तर तक तकनीक के जरिए विकास की राह में कैसे आगे बढ़ा जा सकता है यह निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की परस्पर सहभागिता से एसीआईसी सिद्ध करेगा।
पेट्रोलियम एवं स्टील मंत्रालय स्टार्टप प्रोग्राम को दे रहा बढ़ावा
प्रधान ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा स्टील मंत्रालय इस दिशा में कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रमों ने स्टार्टअप को प्रोत्साहित कर यह कर दिखाया है। आईआईटी, एनआरडीसी जैसे संस्थाओं के साथ मिलकर पिछले तीन साल में 320 करोड़ रुपए से अधिक की राशि स्टार्टप प्रोग्राम के लिए आरक्षित की गई। नेशनल स्टील पॉलिसी 2017 में स्टील सेक्टर में शोध को लेकर की गई प्रतिबद्धता को लागू किया जा चुका है। इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित स्टील रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी मिशन ऑफ इंडिया (एसआरटीएमआई) जैसे स्वायत संस्थान ने हालही में इसी क्रम में इंडियन एग्रिकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर कृषि की लागत को स्टील के जरिए कम बनाने पर काम शुरू किया है। शोध और विकास के बिना यह संभव नहीं होगा। यह जीरो बजट खेती को लेकर प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत अवधारणा को भी सफल बनाएगा।
आईएनएसडीएजी ने पीएम आवास योजना में निभाई अहम भूमिका
यही नहीं इस्पात मंत्रालय ने आईआईटी मुंबई, चेन्नई, खड़गपुर, और बीएचयू में चार सेंटर ऑफ एक्सलेंस की स्थापना की है। इससे एमटेक और पीएचडी करने वाले शोधार्थियों को उत्कृष्ट शोध के लिए आकर्षित करने में मदद मिलेगी। शोध कार्यों से मिलने वाले परिणाम स्टील सेक्टर के लिए मददगार साबित होंगे। तकनीक की उत्कृष्टता से योजनाओं को न सिर्फ प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा सकता है बल्कि समय और संसाधनों की भी बचत होती है। इंस्टिट्यूट ऑफ स्टील डेवलोपमेन्ट एन्ड ग्रोथ (आईएनएसडीएजी) जो की इस्पात मंत्रालय की ओर गठित गैर लाभकारी संगठन ने निजी-सार्वजनिक भागीदारी से कम लागत में घरों के निर्माण को सफल बनाकर उदाहरण प्रस्तुत किया है। जिससे प्रधानमंत्री आवास योजना को सीधा लाभ मिला। केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि ऐसे सभी उदाहरण प्रस्तुत करने का मेरा मकसद सिर्फ यह है कि हम शोध के क्षेत्र की संभवनाओं को पहचानते हुए उसके सामाजिक अनुप्रयोग को समझें। समाजिक मूल्य से युक्त शोध से समाज के जीवन स्तर को बढ़ाते हैं। इस मौके पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि हम भारत को विश्व का सबसे नवोन्मेषी देश बनाना चाहते हैं।