नई दिल्ली। सरकार का दावा है कि भारत के कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले अकुशल और कुशल कामगारों के लिए जल्द ही अच्छे दिन आने वाले हैं। अभी तक का सबसे बड़ा श्रमिक सुधार अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही सरकार इस पर अपना अंतिम फैसला सुनाने वाली है। इस फैसले से सभी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 50 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 10,000 रुपए प्रति माह या 333 रुपए प्रति दिन हो जाएगा। मौजूदा वक्त में दाल, सब्जी, दूध आदि चीजों के जो दाम हैं, क्या उस पर चार सदस्यों वाले एक परिवार का खर्च 10,000 रुपए प्रति माह में चलाना संभव होगा। वर्तमान में, भारत में विभिन्न राज्यों में न्यूनतम मजदूरी अलग-अलग है और केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक भारत में न्यूनतम मजदूरी 211 रुपए प्रति दिन या 6330 रुपए प्रति माह है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि केंद्र सरकार की श्रम कानून में सुधार और न्यूनतम वेतन से सामान्य न्यूनतम वेतन व्यवस्था की ओर अग्रसर होने की कोशिश है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और मंहगाई भत्ते में बदलाव को देखते हुए न्यूनतम वेतन बढ़ाने के संबंध में एक निर्देश दिया है। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए हम पहले इसे बढ़ाकर 10,000 रुपए कर रहे हैं और इसके बाद हम एक सामान्य न्यूनतम वेतन व्यवस्था की ओर बढ़ना चाहते हैं।
मंत्री ने कहा कि विपक्ष दल संसद का कामकाज सामान्य ढंग से नहीं चलने दे रहे हैं, जिसकी वजह से कई प्रमुख सुधार कार्यक्रम अटके हुए हैं। इसलिए सरकार अब इंतजार नहीं करेगी और कर्मचारियों के कल्याण के लिए एक सरकारी आदेश जारी कर जल्द ही न्यूनतम वेतन को बढ़ाने की घोषणा की जाएगी। सरकार ने अनुबंध श्रम (नियमन एवं उन्मूलन) केंद्रीय कानून के नियम 25 में बदलाव करने का फैसला किया है और अनुबंध पर काम करने वाले हर श्रमिक को न्यूनतम 10,000 प्रतिमाह का वेतन मिलेगा। यह प्रस्ताव अभी कानून मंत्रालय के पास भेजा गया है और जल्दी ही एक अधिसूचना आएगी, जिसके बाद हर राज्य सरकार इस फैसले का अनुपालन करेगी।
क्या 10,000 रुपए जीवन यापन के लिए पर्याप्त होंगे?
पिछले साल, 10 केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने एक दिन की हड़ताल कर सरकार को न्यूनतम वेतन में बदलाव करने का दवाब बनाया था। इन कर्मचारी संगठनों ने, जो 15 करोड़ कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, पूरे देश में एक समानरूप से 15,000 रुपए प्रति माह न्यूनतम वेतन की मांग सरकार के समक्ष रखी थी। उस समय सरकार ने प्रति माह 7098 रुपए प्रति माह न्यूनतम वेतन का प्रस्ताव किया था, जो कि अभी तक लागू नहीं हुआ। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग न्यूनतम वेतन हैं, जिनमें काफी अंतर है और इससे असमानता बढ़ती है। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में अकुशल कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 5988 रुपए प्रति माह है, जबकि बिहार में यह 5683 रुपए और दिल्ली में 9,178 रुपए है।