दुबई। अरब खाड़ी देशों के अरबों डॉलर के निर्माण क्षेत्र में काम कर रहे दक्षिण एशिया के कामगारों को स्थानीय कंपनियों में अपनी नियुक्ति की फीस खुद चुकानी पड़ रही है। जबकि कंपनियों और उनके ग्राहकों को सस्ते श्रमिकों का अच्छा लाभ मिल रहा है। मंगलवार को जारी एक अध्ययन यह खुलासा किया गया है।
न्यूयार्क विश्वविद्यालय के स्टर्न सेंटर फॉर बिजनेस एंड ह्यूमन राइट्स ने एक अनुसंधान में पाया कि दूसरे देशों के कामगारों को आव्रजन शुल्कों आदी के रूप में औसतन अपने 10 से 18 महीने के वेतन के बराबर खर्च करना पड़ता है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से खाड़ी में निर्माण प्रभावित हुआ है और इससे सरकारों की बड़ी बुनियादी ढांचा लागत के भुगतान की क्षमता प्रभावित हुई है। हालांकि, इसके बावजूद लाखों सस्ते निर्माण श्रमिकों की मांग बनी हुई है। कतर 2022 के विश्व कप के लिए स्टेडियमों के निर्माण को भारी निवेश कर रहा है। दुबई 2020 के वर्ल्ड एक्सपो के लिए बड़े रेगिस्तानी इलाके का विकास कर रहा है।
माइग्रेंट वर्कर्स पे: रिक्रूटमेंट ऑफ दी माइग्रेंट लेबर फोर्स इन दी गल्फ कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री विदेशों से आने वाले श्रमिकों की मजदूरी : खाड़ी के निर्माण उद्योग में आव्रजक श्रमिकेां की भर्ती शीर्षक रिपोर्ट में बताया गया है कि भर्ती एजेंटों और उनके लिए काम करने वाले सब-एजेंटों के एक जटिल तंत्र के जरिए किस प्रकार ऐसे मजदूरों का शोषण किया जाता है। ऐसे श्रमिकों की भर्ती की वास्तविक लागत 400-650 अमेरिकी डॉलर तक है पर उन्हें इसके कई गुने के बाराबर खर्च करना पड़ता है।