नई दिल्ली। सरकार स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े कर सुधार कहे जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरूआत देश की स्वाधीनता की उद्घोषणा के समय हुए समारोह की तर्ज पर करने की तैयारी में है। केंद्र और राज्यों के विभिन्न शुल्कों को समाहित कर पूरे देश में एक जैसी नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की औपचरिक शुरुआत 30 जून की आधी रात को संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में एक समारोह में की जाएगी। इससे पूरा देश एक एकीकृत बाजार के रूप में उभरेगा। संसद भवन यह वही कक्ष है जहां 15 अगस्त 1947 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आजादी की आगाज करते हुए अपना ऐतिहासिक भाषण नियति के साथ मिलन दिया था।
इस बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि GST व्यवस्था के शुभारंभ का यह कार्यक्रम करीब घंटे भर चलेगा। इसमें इस क्रांतिकारी कर सुधार की दिशा में विभिन्न राजनीतिक दलों और राज्यों के योगदान की झांकी मिलेगी। संसद के केंद्रीय कक्ष में पहले इस तरह आधी रात को एक कार्यक्रम आजादी की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर हुआ था।
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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। गौरतलब है कि मुखर्जी ने ही सबसे पहली बार इस नई कर प्रणाली के लिए संविधान संशोधन विधेयक को 2011 में तब पेश किया था। उस समय वह तत्कालीन संप्रग सरकार में वित्त मंत्री थे। मुखर्जी और मोदी के साथ कार्यक्रम के दौरान मंच पर उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एचडी देवगौड़ा एवं लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी मौजूद होंगी।
जेटली ने कहा कि इनके अलावा लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों को भी इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है। साथ ही GST परिषद और राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के पूर्व और वर्तमान सदस्यों को भी निमंत्रण भेजा गया है। जेटली ने कहा कि मध्यम और दीर्घावधि में केंद्र और राज्यों का राजस्व बढ़ेगा साथ ही घोषित अर्थव्यवस्था का आधार भी विस्तृत होगा।
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जेटली ने जोर देकर कहा कि GST ज्यादा प्रभावी व्यवस्था है और इसका असर बेहतर कर अनुपालन के रूप में दिखेगा। हालांकि उन्होंने माना कि लघु अवधि में GST की नई व्यवस्था को अपनाने में कुछ चुनौतियों का सामना करना होगा।
उद्योग मंडलों के यह कहने कि लघु एवं मध्यम उद्योग इस प्रणाली के लिए तैयार नहीं है, के बारे में प्रश्न किए जाने पर जेटली ने कहा कि हम पहले से कहते आ रहे हैं कि GST पहली जुलाई से लागू होगा। ऐसे में किसी के पास तैयार नहीं होने का बहाना नहीं हो सकता। इसके अलावा हमने शुरुआती समय में रिटर्न दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है जो बदलाव के लिए दिया गया पर्याप्त समय है। GST कानून में मुनाफाखोरी-रोधी प्रावधान के बारे में जेटली ने कहा कि इसे केवल डराने के लिए रखा गया है। इसके तब तक इस्तेमाल का इरादा नहीं है जब तक कि यह अपरिहार्य ना हो।