नई दिल्ली। एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने के मामले में संपन्न वर्ग का योगदान निराशाजनक है। सरकार ने हाल ही में एलपीजी सब्सिडी छोड़ने वालों का एक नमूना सर्वेक्षण (एक लाख लोगों के नमूने के आधार पर) कराया था। इसके अनुसार 10 लाख रुपए से अधिक आय वाले सिर्फ 3 फीसदी लोगों ने ही गैस सब्सिडी छोड़ी है। देश में अब तक 85 लाख लोगों ने स्वैच्छा से गैस सब्सिडी का त्याग किया है। सब्सिडी छोड़ने में सबसे ज्यादा योगदान सेवानिवृत्त शिक्षक या कर्मचारियों से लेकर मध्य एवं निम्न मध्म वर्गीय लोगों का है।
केंद्रीय पेट्रोलियम धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि संपन्न वर्ग के लोगों को रसाईं गैस सब्सिडी छोड़ने के मामले में और उदारता दिखानी चाहिए, क्योंकि इस दिशा में उनका योगदान निराशाजनक है। उन्होंने कहा, देश के पास सीमित बजट है। हमें इसे ध्यान में रखना है। हमें किसे सब्सिडी देनी चाहिए? क्या संपन्न वर्ग को सब्सिडी लेनी चाहिए? या गरीब महिलाओं को सब्सिडी मिलनी चाहिए? यह सतत विकास और महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़ा मुद्दा है।
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उन्होंने कहा कि सख्त निर्देश है कि 10 लाख सालाना से अधिक आमदनी वाले एलपीजी सब्सिडी छोड़ें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की है कि वे एलपीजी सब्सिडी छोड़ें ताकि यह गरीब जरूरतमंद परिवारों को दिया जा सके। पेट्रोलियम मंत्रालय ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत अगले तीन साल में गरीबी रेखा से नीचे के पांच करोड़ लोगों को एलपीजी आपूर्ति से जोड़ने के लिए यह पहल की है। इस योजना के तहत कनेक्शन परिवार की महिला के नाम से दिया जाएगा। मंत्री ने कहा, हर जिले की जिम्मेदारी एक तेल विपण कंपनी को दी जाएगी और 50 फीसदी लाभार्थी महिलाएं होंगी। इन गावों को धुआंरहित बनाया जाएगा और वे 100 फीसदी एलपीजी से जुड़े होंगे। सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए इसके लिए 2,000 करोड़ रुपए मुहैया कराए हैं।