लेकिन एक ओर जब टॉप चाइनीज कंपनियां चीन में स्लोडाउन के चलते भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देख रही हैं ठीक उसी समय भारत की टॉप स्मार्टफोन कंपनी माइक्रोमैक्स चीन के बाजार में एंट्री लेकर इन कंपनियों को चुनाती देना चाहती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जब चाइनीज कंपनियां खुद अपने बाजार में दिक्कतों का सामना कर रही हैं जिसकी वजह से वे भारत और साउथईस्ट एशिया के अन्य देशों पर अपना फोकस बढ़ा रही हैं तब माइक्रोमैक्स का चीन के बाजार में एंट्री ले अपनी जगह बनाना कितना मुश्किल होगा?
माइक्रोमैक्स के लिए क्यों कठिन है चीन की राह?
चीन का बाजार स्लोडाउन से गुजर रहा है। ऐसे में किसी विदेशी कंपनी के लिए चाइनीज मार्केट में अपने प्रोडक्ट लॉन्च करना चुनौतीपूर्ण होगा। ज्यादातर चाइनीज कंपनियों को अच्छे मार्जिन अपने बाजार में नहीं बल्कि एक्सपोर्ट से मिल रहे हैं। दुनिया की फैक्ट्री माना जाने वाला चीन अपने सस्ते प्रोडक्ट और बड़े उपभोग के लिए मशहूर है। ऐसे में कैसे माइक्रोमैक्स इन कंपनियों से स्मार्टफोन के दामों को लेकर उनके ही घर में टक्कर देगा?
दाम के बाद क्वालिटी की बात!
क्वालिटी को लेकर भारत के बाजार में माइक्रोमैक्स को चाइनीज कंपनियां कड़ी टक्कर दे रही हैं। बीते कुछ समय में चाइनीज स्मार्टफोन कंपनियों ने बिक्री के मामले में माइक्रोमैक्स को पछाड़ दिया है। इसका मुख्य कारण डिवाइस का हार्डवेयर, अपग्रेडेविलिटी और सॉफ्टवेयर की कमियां हैं। माइक्रोमैक्स को भारत के बाजार में मोटोरोला, लेनेवो, हुवई और श्याओमि जैसी कंपनियों से बड़ा कम्पटीशन देखने को मिल रहा है। माइक्रोमैक्स की सब्सिडी Yu टेलिवेंचर्स को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है लेकिन फोन की क्वालिटी इसके फीचर्स को फीका कर देती है।
ग्लोबल मार्केट से भी सुस्त संकेत
IDC की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल चीन से होने वाले शिपमेंट की ग्रोथ दर में गिरावट आई है। 2013 में फोन के शिपमेंट में 62.5 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली थी, जो 2015 में महज 2.5 फीसदी रह गई। हालांकि इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्मार्टफोन की औसत कीमत में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह इस ओर इशारा करता है कि ग्राहक खरीदारी के समय अच्छी स्पेसिफिकेशन और ज्यादा समय तक चलने वाले स्मार्टफोन पर फोकस कर रहे हैं।
चाइनीज कंपनियां अपनी ही घर में पस्त
टॉप चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी श्याओमि की ग्रोथ 2016 में सुस्त रही जबकि चीन का स्मार्टफोन बाजार तेजी से बढ़ रहा है। श्याओमि ने 2015 में 8 करोड़ स्मार्टफोन बेचने का लक्ष्य रखा था जिससे कंपनी चूक गयी। चीन की दूसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन कंपनी हुवई के लिए 2015 का साल ग्रोथ की दृष्टि से 2014 की तुलना में खराब रहा। साथ ही एप्पल के हाल में लॉन्च हुए आईफोन 6s को भी चीन के बाजार में मनमाफिक रिस्पॉन्स नहीं मिला। यह तीनों ही समीकरण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि चीन का स्मार्टफोन बाजार स्लोडाउन से गुजर रहा है।
माइक्रोमैक्स को दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी स्मार्टफोन कंपनी बनाने का लक्ष्य
माइक्रोमैक्स इंफॉर्मेटिक्स के सहसंस्थापक विकास जैन ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से बातचीत में कहा कि कंपनी की योजना 2017 तक चीन के बाजार में घुसने की है। साथ ही उन्होनें उम्मीद जताई है कि 2020 तक माइक्रोमैक्स दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी बन जाएगी।
हांगकांग में राइस टेक्नोलॉजी की हाल में हुई कॉन्फ्रेंस में विकास जैन ने कहा था कि माइक्रोमैक्स का लक्ष्य 2020 तक दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी कंपनी बनने का है। इसके लिए चीन जैसे बाजार में जगह बनाने और बड़े निवेश की जरूरत होगी। यह निवेश बड़े निजी निवेशकों या बाजार से जुटाया जा सकता है। माइक्रोमैक्स ने साल की शुरूआत में ही कंपनी की नई टैगलाइन और लोगो से पर्दा उठाया था। यह वैश्विक स्तर पर कंपनी की छवि बनाने प्रयास था।
Conclusion – माइक्रोमैक्स अगर चीन के बाजार में घुसकर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी कंपनी बनने का सपना देख रही है तो निश्चित तौर पर उसके लिए यह पहाड़ तोड़ने जैसा काम होगा। क्योंकि ऐसे समय में जब चीन के बाजार में चाइनीज कंपनियां स्लोडाउन से चिंतित हैं और भारत जैसे बाजार में अपने पैर जमा रही हैं तब भारतीय कंपनी का चीन के बाजार में जाकर अपना प्रोडक्ट लॉन्च करना बड़ी चुनौती है। क्वालिटी को लेकर चाइनीज कंपनियां माइक्रोमैक्स को भारत में चुनौती दे रही हैं और स्मार्टफोन की कीमत पर माइक्रोमैक्स का चाइनीज कंपनी को पछाड़ना मुश्किल है।
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