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माइक्रोमैक्‍स ने चीनी मोबाइल कंपनियों से टक्‍कर लेने की बनाई योजना, 2017 में चीन के बाजार में करेगी प्रवेश

भारत की प्रमुख हैंडसेट निर्माता माइक्रोमैक्‍स ने इन कंपनियों से मुकाबला करने के लिए अगले दो सालों में चीनी बाजार में प्रवेश करने की योजना बनाई है।

Abhishek Shrivastava
Updated : June 03, 2016 15:23 IST
माइक्रोमैक्‍स ने चीनी मोबाइल कंपनियों को टक्‍कर देने की बनाई योजना, 2017 में चीन के बाजार में करेगी प्रवेश
माइक्रोमैक्‍स ने चीनी मोबाइल कंपनियों को टक्‍कर देने की बनाई योजना, 2017 में चीन के बाजार में करेगी प्रवेश

नई दिल्‍ली। एक ओर जहां लिनोवो, श्‍याओमी और हुवेई जैसी चीनी कंपनियां भारत में अपना बेस बना रही हैं और लीईको तेजी से भारतीय बाजार पर छा रही है, ऐसे में भारत की प्रमुख हैंडसेट निर्माता माइक्रोमैक्‍स ने इन कंपनियों से मुकाबला करने के लिए अगले दो सालों में चीनी बाजार में प्रवेश करने की योजना बनाई है। माइक्रोमैक्‍स इंर्फोमेटिक्‍स के को-फाउंडर विकास जैन ने कहा कि 2017 में हम चीन में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं और हमें उम्‍मीद है कि 2020 तक हम दुनिया के पांचवें सबसे बड़े स्‍मार्टफोन निर्माता बन जाएंगे।

विकास ने कहा कि कंपनी का लक्ष्‍य 2020 तक स्‍मार्टफोन की बिक्री के मामले में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी स्‍मार्टफोन निर्माता बनने का है। ऐसा बिना चीनी ग्राहकों तक पहुंचे और पब्लिक ऑफरिंग या प्राइवेट इन्‍वेस्‍टर्स से पैसा जुटाए नहीं हो सकता। माइक्रोमैक्‍स ने अपने ग्राहकों के लिए इस साल की शुरुआत में एक नया लोगो और टैगलाइन भी लॉन्‍च की है, इसके जरिये कंपनी अपनी एक ग्‍लोबल इमेज बनाना चाहती है। हाल ही में माइक्रोमैक्‍स फोन की बिक्री चीनी कंपनियों की तुलना में ज्‍यादा अच्‍छी नहीं रही है। जैन ने कहा कि कंपनी या तो प्राइवेट या पब्लिक फंडिंग के जरिये पैसा जुटाएगी, ताकि भारत के अलावा विशेषकर चीन में अपनी स्थिति को सुधारा जा सके।

चीन में माइक्रोमैक्‍स के सामने हैं कई अड़चनें

चीनी कंपनी जैसे श्‍याओमी और हुवेई अपने घरेलू बाजार में चुनौतियों का सामना कर रही हैं, इसलिए वह अन्‍य विकासशील देशों जैसे भारत और साउथईस्‍ट एशिया पर अपना फोकस कर रही हैं। श्‍याओमी की 2016 में स्थिर ग्रोथ रही है, उसने चीनी स्‍मार्टफोन बाजार में तब प्रवेश किया था जब वह तेजी से विकसित हो रहा था। चीन की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी हुवेई की ग्रोथ भी 2015 में 2014 के मुकाबले काफी कम रही, जबकि एप्‍पल भी चीन में अनुमानित बिक्री का आंकड़ा नहीं हासिल कर पाई। चीन में बहुत अधिक प्रतिस्‍पर्धा और स्थिर मार्केट माइक्रोमैक्‍स के लिए एक बड़ी चुनौती होगा।

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