नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा के तहत खर्च बढ़ाकर एक रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंचा दिया है। पहली बार इस कार्यक्रम के लिए बजट प्रावधान से बढ़ कर धन उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के भविष्य को लेकर आशंकाओं को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि जहां पूर्व के वर्षों में इस योजना पर वास्तविक खर्च बजट राशि से कम हुआ करता था, इस वित्त वर्ष में सरकार ने योजनागत व्यय में कटौती नहीं की है क्योंकि वह वृद्धि दर को बढ़ाना चाहती है।
मनरेगा नहीं होगा समाप्त, सरकार लगा रही पैसा
मनरेगा के 10 साल पूरा होने के मौके पर आयोजित एक मनरेगा सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि इस बात को लेकर आशंका थी कि एनडीए सरकार इस योजना को समाप्त कर देगी या इसकी जगह कोई नया कार्यक्रम ले आएगी। लेकिन नई सरकार ने न केवल इस योजना को आगे बढ़ाया, बल्कि योजना के तहत आबंटन बढ़ाया है। सरकार ने अधिक प्रावधान कर बाद में इसमें कटौती करने की प्रथा नहीं अपनाई है। मुझे लगता है कि यह पहली बार होगा जब इसके लिए आबंटित 34,000-35,000 करोड़ रुपए न केवल पूरी तरह से खर्च किया गया, बल्कि मनरेगा को कुछ और संसाधन दिए जा सकता है।
10 साल सबसे ज्यादा पैसे हुए खर्च
वित्त मंत्री ने कहा कि 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में इस योजना के तहत वास्तविक खर्च अब तक का सबसे अधिक होगा। जेटली ने कहा कि हाल के वर्षों में एक भी वर्ष ऐसा नहीं बीता होगा जब बजट आबंटन में कटौती न की गई हो। प्रत्येक नवंबर-दिसंबर में आबंटन घटाने का चलन रहा है। वित्त मंत्री ने कहा, इसका प्रभाव यह होता है कि जब खर्च कम होता है और आर्थिक विकास पर कम खर्च होता है व योजनागत व्यय में कटौती होती तो इससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित होती है। जेटली ने कहा, 2015-16 ऐसा पहला साल होगा जब विकास कार्यों के लिए आबंटित कोष में कोई कटौती नहीं होगी। वास्तविक खर्च, बजट में किए गए प्रावधानों से अधिक होगा।