नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक माइक्रोफाइनेंस (एमएफआई) क्षेत्र को बढ़ावा देगा, लेकिन ऋणदाताओं को उच्च एसेट ग्रोथ और रिटर्न पाने के लिए असावधान नहीं होना चाहिए। एमएफआई क्षेत्र के एक स्व-नियामक संगठन ‘सा-धन’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राव ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस ऋणदाताओं को मुख्यधारा के वित्त की रणनीतियों की नकल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उनकी सेवाओं में सामाजिक उद्देश्यों को जगह देने की अधिक जरूरत होती है। राव ने कहा, ‘‘उच्च परिसंपत्ति वृद्धि और प्रतिफल पाने के लिए (एमएफआई) ऋणदाताओं को असावधान नहीं होना चाहिए। एमएफआई की प्रतिकूल कार्रवाई के जरिए कोई भी चूक दशकों में हासिल की गई जबरदस्त प्रगति को खत्म कर सकती है।’’
उन्होंने कहा कि माइक्रोफाइनेंस की शुरुआत के उद्देश्यों को नहीं भूलना चाहिए। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि एमएफआई को पहले ग्राहकों की जरूरतों को समझने पर ध्यान देना चाहिए और सही वित्तीय उत्पादों के जरिए उन्हें पर्याप्त सहायता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि एमएफआई ग्राहकों में वित्तीय जागरूकता का स्तर कम है और वे कहीं से भी कर्ज लेने के लिए बेताब हैं, इसलिए उन्हें देखभाल और सहानुभूति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ बातों में नहीं, बल्कि असल में होना चाहिए।