नई दिल्ली। देश की दूसरी सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील संकट में है। वहीं सबसे बड़ी कंपनी फ्लिपकार्ट भी प्रॉफिट में नहीं है। इन सबके बीच अमेजन भारतीय बाजार पर तेजी से कब्जा जमाने की जुगत में लगी हुई है, जिसको चुनौती देने के लिए दोनों भारतीय कंपनियां पैसा पानी की तरह बहा रही हैं। लेकिन इसका कोई खास असर अमेरिका की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी पर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। अमेजन ने भारत में 5 अरब डॉलर निवेश का वादा किया है। ऐसे में अगर अमेजन को हराना है तो इन दोनों कंपनियों को एक साथ आना होगा।
स्नैपडील ने अपने प्लेटफॉर्म पर सेलर्स के लिए पॉलिसी में बदलाव किए हैं। स्नैपडील ने कई प्रोडक्ट्स की मार्केट फीस को पहले ही कम कर दिया है, जो कि आज लागू हो गया है। इससे पहले अपनी स्थिति को सुधारने के लिए फ्लिपकार्ट ने अपनी फीस बढ़ाने के साथ ही रिफंड के नियम को सख्त किया था। इसके बाद वेंडर्स ने हड़ताल कर दी थी। इसके अलावा सरकार ने इस साल विदेशी निवेश के नियमों के कई बदलाव किए हैं, जिसके कारण ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियां अब बड़े ऑफर्स नहीं दे पाएंगी। इसका मतलब है कि प्राइस वॉर का खेल खत्म होने वाला है। ये सभी ऐसी घटनाएं हैं, जिनकी वजह से इन दोनों कंपनियों के लिए मिलकर काम करना ही एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इन दो कंपनियों के हाथों से भारतीय बाजार फिसल जाए इससे बेहतर है कि यह मिलकर एक हो जाएं। उदाहरण के तौर पर चीन की एप आधारित टैक्सी सर्विस देने वाली कंपनी दीदी दचे और कुआइदी दचे ने विलय कर दीदी चुक्सिंग बना ली, जो सही फैसला साबित हुआ। भारतीय कंसल्टेंसी कंपनी टेक्नोपैक के चेयरमैन का कहना है कि अमेजन और भारत में एंट्री लेने वाली कंपनी अलीबाबा को टक्कर देने के लिए स्नैपडील और फ्लिपकार्ट का मर्ज होना जरूरी है। हालांकि कंपनी तैयार भी हो जाती है तो इसमें 6 महीने का समय लगेगा।