नई दिल्ली। छोटे बैंकों के विलय से सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रम (MSME) क्षेत्र के ऋण स्रोत पर बुरा असर पड़ सकता है क्योंकि विलय के फलस्वरुप बनने वाले बड़े बैंक छोटे ऋण देने में कम इच्छुक होंगे। वित्तीय सेवा कंपनी रिसर्जेंट इंडिया की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े बैंकों के यह नुकसान हैं कि सेवाएं कम आकर्षक होती हैं और स्थानीय लोग उन तक पहुंचने से कतराते हैं। बड़े बैंकों की अधिक फीस होती हैं, और बड़े बैंकों में सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों के छोटे कारोबार के चलते उनके साथ काम करने के लिए अधिक इच्छुक नहीं होंगे।
रिसर्जेंट इंडिया के प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश गाडिया ने कहा कि,
छोटे बैंकों के विलय से सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों के ऋण स्रोत पर बुरा असर पड़ेगा, उधर छोटे बैंक अपनी पहचान गंवा देंगे।
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सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (MSME) क्षेत्र एक बहुत बड़े हिस्से को रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है। देश के विनिर्माण क्षेत्र में इसकी 45 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि निर्यात में 40 फीसदी और देश की GDP में इस क्षेत्र का आठ फीसद योगदान है।