नई दिल्ली। जर्मनी की कार कंपनी मर्सिडीज बेंज ने भारत में लग्जरी कारों पर कर की दरें कम करने की मांग की है। कंपनी का कहना है कि इस कदम से रोजगार बढ़ेगा और इस खंड से कर संग्रहण में भी इजाफा होगा। मर्सिडीज ने कहा कि कराधान के मामले में बेहतर व्यवहार से देश में लग्जरी कारों के बाजार का विकास होगा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत 1500 सीसी से अधिक की इंजन क्षमता वाली बड़ी कारों और चार मीटर से अधिक की 1500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाली एसयूवी पर 28 प्रतिशत की ऊंची कर दर के अलावा 15 प्रतिशत का उपकर लगेगा।
मर्सिडीज बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी रोलैंड फॉल्गर कहा कि,
भारत में हम देखते हैं कि यदि एक हाथ से कुछ दिया जाता है, तो दूसरे हाथ से कुछ वापस ले लिया जाता है। इस वजह से भारत में लग्जरी खंड बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहा।
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फॉल्गर ने कहा कि वाहन उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7-8 प्रतिशत का योगदान देता है। हम भारत की वृद्धि में अधिक योगदान दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कराधान के मामले में हमारे साथ बेहतर व्यवहार किया जाए। दुनिया में कुछ ही देश ऐसे हैं जिनकी कर दर भारत से अधिक है। यहां उल्लेखनीय है कि स्थानीय स्तर पर असेंबल्ड लग्जरी कारों पर कर की दर 55 प्रतिशत से घटकर जीएसटी व्यवस्था में 43 प्रतिशत रह गई है और मर्सिडीज, ऑडी और जगुआर लैंड रोवर ने अपनी कारों के दाम भी घटाए हैं।
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फॉल्गर ने भारत में विभिन्न वाहन खंडों में समान कर ढांचे की वकालत करते हुए कहा कि यदि आप हमारे कार खंड को भी उसी कर ढांचे में रखते हैं तो हमें 43 के बजाय 28 प्रतिशत कर देना होगा और हम अपनी मात्रा दोगुना कर सकते हैं।