नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच ब्रिटेन की ब्रोकरेज कंपनी बार्कलेज ने बुधवार को चेतावनी दी कि लोगों के एकांत में रहने जैसे निवारक उपायों के चलते आर्थिक वृद्धि में दो प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था पहले ही दबाव का समाना कर रही है। बार्कलेज ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी और इसके प्रभाव के चलते वृद्धि में आधा प्रतिशत तक मजबूती का अनुमान है। भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और मंगलवार तक इनकी संख्या बढ़कर 61 हो गई है। ताजा मामले पुणे और बेंगलुरु से सामने आए हैं।
इस महामारी से पहले ही सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आर्थिक वृद्धि दर दशक में सबसे कम पांच प्रतिशत तक आ गई है। बार्कलेज ने कोरोना वायरस से भारत पर होने वाले असर के बारे में कहा कि हमारा मानना है कि वृद्धि के लिए सबसे बड़ा जोखिम लोगों के जमा होने पर रोक या आवाजाही की पाबंदी, और संबंधित उपभोग व्यय, निवेश और सेवा गतिविधियों में कमी के कारण है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे निवेश गतिविधियां प्रभावित होंगी और निवारक उपायों के चलते वृद्धि को कुल दो प्रतिशत तक झटका लग सकता है। तेल कीमतों के घटने से कुछ राहत मिलेगी, तेल आयात बिल कम होने से जीडीपी को 0.5 प्रतिशत की मदद मिलेगी।
बार्कलेज ने 2020 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 6.5 प्रतिशत व्यक्त किया गया था। बार्कलेज ने कहा कि भारत एक घरेलू मांग से चलने वाली अर्थव्यवस्था है और इसे तेल कीमतों में गिरावट का फायदा मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकोषीय और मौद्रिक दोनों नीतियां विकास को समर्थन कर रही हैं और आपूर्ति श्रृंखला भी तनाव में नहीं है।