मुंबई। मारीशस इस बात को लेकर आशावान है कि नई संधि में भी वह भारत में विदेशी निवेश के सबसे बड़ा स्रोत बना रहेगा। उसने यह बात ऐसे समय कही है जबकि संधि के ब्योरे को लेकर बातचीत जारी है।
भारत और मारीशस ने मई में भारत-मारीशस कर संधि में संशोधन के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसका मकसद भारत में निवेश करने वाली मारीशस की कंपनियों पर सिद्धांत रूप से चरणबद्ध तरीकरे से पूंजीगत लाभ कर लागू करना है।
यहां आल इंडिया एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज (एआईएआई) द्वारा अपने सम्मान में आयोजित भोज के अवसर पर उद्यमियों की बैठक के दौरान मारीशस के प्रधानमंत्री सर एनेरूड जगन्नाथ ने बातचीत में कहा, शुरूआती संधि दोहरे कर से बचाव के लिये थी। यह मारीशस और भारत दोनों के लिए अनुकूल थी क्योंकि यहां कई निवेश मारीशस के रास्ते आ रहे थे।
उन्होंने कहा, दोनों देशों के संबंध सदा मजबूत रहे हैं और मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि इसमें कोई बदलाव आएगा। यह बहुत प्रगाढ़ है और हम इसे और प्रगढ़ करने के लिए प्रयासरत हैं। मारीशस के प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं राजनयिक संबंध निरंतर बढ़ रहे हैं। उन्होंने अपने देश में भारतीयों द्वारा किये गये बड़े निवेश को रेखांकित किया।