नई दिल्ली। भारत की ग्रोथ की संभावना के प्रति आशान्वित अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) ने कहा कि विदेशों (ऑफशोर) में रुपया बॉन्ड भारतीय कंपनियों के लिए फाइनेंसिंग का नया स्त्रोत मुहैया करा सकता है। इससे उनको दीर्घकालिक स्तर पर तुलनात्मक मूल्यनिर्धारण के संबंध में फायदा होगा। आईएफसी के उपाध्यक्ष और खजांची जिंगदोंग हुआ ने कहा कि अब तक किसी भी भारतीय कंपनी ने विदेशी रुपया बॉन्ड पेश नहीं किया है। संभव है कि बाजार और लागत के प्रति जागरूकता की कमी समेत कई तत्व इस उपाय का फायदा उठाने के प्रति अनिच्छा की वजह है।
वर्ल्ड बैंक समूह का अंग, आईएफसी विदेशी रुपया बॉन्ड जारी कर रहा है जिसे मसाला बॉन्ड के तौर पर जाना जाता है। मार्च में उसने 15 साल की परिपक्वता वाली तीन करोड़ डॉलर की प्रतिभूतियां जारी की जो सबसे लंबी अवधि के अपतटीय बॉन्ड हैं। हुआ ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा कि विदेशी (आफशोर) रुपया बॉन्ड कंपनियों के लिए सचमुच फाइनेंसिंग का नया स्त्रोत खोल सकता है।
हुआ ने कहा कि अब तक भारतीय कंपनियां मसाला बॉन्ड की पेशकश नहीं लेकर आई हैं क्योंकि वे फाइनेंसिंग की लागत के प्रति बहुत जागरूक नहीं हैं और कर्ज जुटाने के लिए घरेलू बाजार की शरण लेती हैं। उन्होंने कहा, विदेशी और घरेलू बॉन्ड के बीच ब्याज दर में थोड़ा फर्क होता है। यह फर्क बहुत अधिक नहीं होता- यह 0.40-0.80 फीसदी के बीच होता है। मुझे लगता है कि यही वजह है कि भारतीय कंपनियों फाइनेंसिंग की लागत के बारे में बहुत सजग हो जाती हैं और वे सत्ता कर्ज लेना चाहती हैं यानि घरेलू बाजार का रख करती हैं।