नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने बुधवार को बताया कि अप्रैल में उसका कुल उत्पादन 1,59,955 इकाई रहा जो मार्च के मुकाबले सात प्रतिशत कम हैं। कंपनी ने सामान्य फाइलिंग के दौरान बताया कि उसने दो वर्ष पहले इसी महीने में 1,72,433 वाहनों का उत्पादन किया था। मारुति सुजुकी ने बताया कि इस महीने आल्टो और एस-प्रेस्सो की 29,056 इकाइयों को उत्पादन किया गया जबकि मार्च में यह संख्या 28,519 की थी। उसने कहा कि वेगन आर, सेलेरियो, इग्निस, स्विफ्ट, बलेनो और स्विफ्ट डिज़ायर का उत्पादन मार्च में हुए 95,186 इकाइयों के मुकाबले 83,432 का रहा। इसी तरह उपयोगिता वाहन में जिप्सी, अर्टिगा, एस-क्रॉस, विटारा ब्रेज़ा और एक्सएल6 की उत्पादन संख्या भी अप्रैल में 31,059 रही जो मार्च में 32,421 इकाइयों की रही थी। कंपनी ने कहा कि हल्के वाणिज्यिक वाहन सुपर कैरी का उत्पादन अप्रैल 2,390 इकाइयों को रहा जो मार्च में 2,397 इकाई रहा था। मारुति सुजुकी ने कहा, ‘‘कोरोना संक्रमण के कारण लगे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के वजह से उसने अप्रैल 2020 में कोई उत्पादन नहीं किया था इसलिए अप्रैल 2020 और अप्रैल 2021 की उत्पादन मात्रा के बीच तुलना का कोई मतलब नहीं है।’’
हाल में जारी नतीजों के मुताबिक मार्च तिमाही में कंपनी का मुनाफा पिछले साल के मुकाबले 9.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,166 करोड़ रुपये रहा है। पिछले साल की इसी तिमाही में कंपनी का मुनाफा 1291.7 करोड़ रुपये रहा था। वहीं ऑपरेशंस से आय 32 प्रतिशत बढ़कर 24023 करोड़ रुपये रही है जो कि पिछले साल की इसी अवधि में 18198.7 करोड़ रुपये थी। तिमाही के दौरान कंपनी की सेल्स पिछले साल के मुकाबले 33.6 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22958.6 करोड़ रुपये पर पहुंच गयी। मार्च तिमाही में कंपनी ने 4,92,235 वाहन बेचे हैं। इसमें पिछले साल के मुकाबले 28 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई है। घरेलू बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 26.7 प्रतिशत और एक्सपोर्ट में 44.6 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है। तिमाही के दौरान कंपनी का एबिटडा (EBITDA) पिछले साल के मुकाबले 28.8 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1991.4 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। एबिटडा में बढ़त ऊंचे सेल्स वॉल्यूम और लागत घटाने के कदमों की वजह से दर्ज हुई। वहीं पिछले साल के मुकाबले एबिटडा मार्जिन 20 बेस अंक की बढ़त के साथ 8.3 प्रतिशत पर पहुंच गया। कंपनी ने कहा कि मार्जिन पर कच्चे माल की ऊंची कीमत और विदेशी मुद्रा में तेज उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल असर देखने को मिला है।