नई दिल्ली। पनामा दस्तावेजों की जांच करने वाले जांचकर्ताओं को पता चला है कि इनमें से काफी निवेश ब्रिटेन की टैक्स पनाहगाह कही जाने वाली ब्रिटिश वर्जिन आइसलैंड में किया गया है। इन दस्तावेजों में कई भारतीयों के नाम सामने आए हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के नेतृत्व में सरकार द्वारा गठित विभिन्न एजेंसियों के समूह को दस्तावेजों की जांच से इनके ब्रिटिश वर्जिन आइसलैंड से जुड़े होने का पता चला है। इसके बाद ही इस संबंध में ब्रिटेन से कुछ सवालों के जवाब मांगने का फैसला किया गया है। यह जानकारी मौजूदा कर सूचना संधि के तहत मांगी जाएगी।
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सीबीडीटी ने इस बारे में अपने अधिकारियों से कहा है कि वह ब्रिटिश वर्जिन आइसलैंड से संपर्क करने से पहले पूछताछ के लिए मजबूत मामला तैयार करें ताकि इस संबंध में जरूरी जानकारी जुटाई जा सके। कालेधन के मामलों और विदेशी जांच के विभिन्न मामलों में इस उत्तरी कैरेबियाई द्वीपीय देश का नाम कई बार सामने आया है।
आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच में इस द्वीप का नाम आया है। सूत्रों का कहना है कि पनामा दस्तावेजों में जिनके नाम सामने आए हैं उनमें से कई लोगों व इकाइयों ने अपने टैक्स रिटर्न में इन निवेशों के बारे में जानकारी दी है लेकिन कई और हैं जिन्होंने ऐसा नहीं किया है और अब कर विभाग उनकी जांच कर रहा है।
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