नई दिल्ली। भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर जून में समाप्त तिमाही के दौरान निर्यात परिदृश्य, मांग की स्थिति अच्छी न होने और लोन की लागत अधिक होने के कारण घट सकती है। यह बात फिक्की के एक सर्वेक्षण में कही गई। सर्वे में इससे पहले जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान विनिर्माण गतिविधि में तेजी का संकेत दिया गया था। जनवरी-मार्च का परिदृश्य चालू तिमाही के मुकाबले ज्यादा आशावादी है।
विनिर्माण के लिए नियुक्ति परिदृश्य भी उत्साहजनक नहीं है क्योंकि सर्वेक्षण में शामिल 80 फीसदी से अधिक प्रतिभागियों ने कहा कि अप्रैल-जून की तिमाही में नियुक्ति की संभावना कम है। सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया, विनिर्माताओं द्वारा अदा किए जाने वाले ब्याज दर में पिछले कुछ महीनों में कमी आई हालांकि यह अभी भी उच्च स्तर पर है। सर्वेक्षण में कहा गया, विनिर्माताओं ने 6-15 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान किया जिसका सालाना औसत करीब 11.4 फीसदी रहा जबकि पिछले सर्वेक्षण में यह औसत 11.8 फीसदी था। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही के दौरान विनिर्माण क्षेत्र के लिए निर्यात परिदृश्य में भी नरमी की स्थिति का संकेत मिलता है।