नई दिल्ली। ग्राहकों की मांग कमजोर रहने और GST से जुड़ी चिंताओं के चलते जून माह में विनिर्माण क्षेत्र की ग्रोथ (मैन्युफैक्चरिंग PMI) चार माह के न्यूनतम स्तर तक गिर गई। एक मासिक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है। इस स्थिति को देखते हुये एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद जगी है। हालांकि, जून माह में भारत-विनिर्मित सामान की मांग में सुधार आया है। अक्टूबर 2016 के बाद से नए निर्यात आर्डर की मांग तेजी से बढ़ी है।
निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून माह में चार माह के न्यूनतम स्तर 50.9 अंक पर आ गया। इससे पहले मई में यह 51.6 अंक पर था। इससे विनिर्माण क्षेत्र में सुधार की रफ्तार कमजोर रहने का संकेत मिलता है। चार माह पहले फरवरी में यह 50.7 अंक रहा था।
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आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की लेखिका पोलियाना डे लिमा ने कहा कि,
यह सुस्ती ग्राहक मांग कमजोर रहने की वजह से आई है। ऑर्डर बुक की ग्रोथ काफी सुस्त और धीमी गति से आगे बढ़ी है। कई मामलों में यह देखा गया है कि वृद्धि पर पानी की कमी और वस्तु एवं सेवा कर (GST) का असर रहा है।
लिमा ने कहा कि अच्छी बात यह रही कि PMI सर्वेक्षण में जून माह के दौरान भारत में विनिर्मित उत्पादों के लिये विदेशी बाजारों की मांग अच्छी रही। विदेशी बाजारों से नए ऑर्डर में तेजी आई है। पिछले आठ माह के दौरान यह सबसे बेहतर रहा है। बहरहाल, भविष्य के प्रदर्शन को लेकर कारोबारियों का विश्वास मिला-जुला दिखाई दिया। कुछ फर्मों का मानना है कि नई कर प्रणाली से उनका कारोबार बढ़ेगा जबकि अन्य का मानना है कि GST का उनकी ऑर्डर बुक पर बुरा असर पड़ेगा।
सर्वेक्षण के अनुसार अप्रैल से जून की अवधि में विनिर्माण क्षेत्र का औसत PMI 51.7 अंक रहा। पिछली तिमाही के मुकाबले यह ऊंचा रहा। लिमा ने कहा कि नोटबंदी का असर अब जबकि काफी कुछ निकल चुका है और GST से ऐसा नहीं लगता है कि उपभोक्ता मांग पर कोई व्यापक प्रतिकूल असर होगा। आईएचएस मार्किट के मुताबिक 2017-18 की GDP ग्रोथ 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि वेतन पाने वालों की संख्या और खरीदारी गतिविधियों में मामूली वृद्धि ही हुई।