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मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार मार्च में सुस्त पड़ी, 7 महीने के निचले स्तरों पर PMI

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मार्च में घटकर सात माह के निचले स्तर 55.4 पर आ गया। फरवरी में यह सूचकांक 57.5 पर था। पीएमआई का 50 से अधिक का आंकड़ा वृद्धि, जबकि इससे नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 05, 2021 12:34 IST
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Photo:PTI

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार सुस्त

नई दिल्ली। देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों की रफ्तार फिर सुस्त पड़ी है और मार्च में यह सात माह के निचले स्तर पर आ गई है। सोमवार को जारी एक मासिक सर्वे में कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़ने से देश में कारोबारी गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। आईएचएस मार्किट इंडिया का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए पीएमआई (Purchasing Managers’ Index) मार्च में घटकर सात माह के निचले स्तर 55.4 पर आ गया। फरवरी में यह सूचकांक 57.5 पर था। पीएमआई का 50 से अधिक का आंकड़ा वृद्धि, जबकि इससे नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है।

आईएचएस मार्किट की एसोसिएट निदेशक (इकनॉमिक्स) पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ‘‘उत्पादन, नए ऑर्डर और खरीद के आंकड़ों की वृद्धि सुस्त रही है।’’ लीमा ने कहा कि सर्वे में शामिल लोगों का कहना है कि कोविड-19 के मामले बढ़ने से मांग की वृद्धि सुस्त पड़ी है। लीमा ने कहा, ‘‘कोविड-19 की वजह से अंकुश बढ़ने और कुछ राज्यों में लॉकडाउन फिर लगाए जाने की वजह से भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए अप्रैल काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।’’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 1,03,558 मामले आए हैं। अब देश में संक्रमित लोगों का आंकड़ा 1,25,89,067 पर पहुंच गया है।

लीमा ने कहा कि रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर नहीं मिल रही है। मार्च में भी रोजगार में गिरावट आई। इस तरह छंटनी का सिलसिला शुरू हुए अब एक साल हो गए हैं। उन्होंने कहा मार्च में कारोबारी विश्वास डगमगाया है। हालांकि, कुछ कंपनियों का कहना है कि आगामी 12 माह में उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। लेकिन अधिकांश कंपनियां मानती हैं कि स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़ने और सरकार द्वारा रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने के लक्ष्य की वजह से मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में बदलाव की संभावना नहीं है। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के नतीजे सात अप्रैल को आने हैं।

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