दुबई। कच्चे तेल के प्रमुख उत्पादक देश 2014 की तरह कीमतों में गिरावट आने की आशंका के मद्देनजर तेल उत्पादन में संभावित कटौती को लेकर रविवार को अबुधाबी में हो रही बैठक में विचार कर सकते हैं। अक्टूबर की शुरुआत में चार साल के उच्च स्तर पर पहुंच जाने के बाद विविध कारणों से महज एक ही महीने में कच्चे तेल का दाम उसके पांचवें हिस्से तक गिर चुका है।
ब्रेंट क्रूड शुक्रवार को अप्रैल के बाद पहली बार 70 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गया। न्यूयॉर्क का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट भी गिरकर नौ महीने के निचले स्तर पर आ गया और 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे उतर गया। अमेरिका ने उत्पादन में वृद्धि कर दी है, जबकि मांग में गिरावट के संकेत को देखते हुए सउदी अरब और रूस ने आपूर्ति तेज कर दी है। इसके अलावा ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर उम्मीद से कम होने से भी कच्चा तेल कमजोर पड़ा है।
फॉरेक्स डॉट कॉम के विश्लेषक फवाद रज्जाकजादा ने कहा कि सउदी अरब, रूस और अमेरिका जैसे बड़े उत्पादकों द्वारा ईरान पर प्रतिबंध के बाद आपूर्ति में आई कटौती से अधिक आपूर्ति बढ़ा देने से कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। प्रमुख तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक की संयुक्त मंत्रिस्तरीय निगरानी समिति उत्पादन के स्तर पर नजर रखती है। इस बैठक में रूस और सउदी अरब के मंत्री भी शामिल हो रहे हैं। रूस और सउदी अरब अमेरिका के बाद विश्व के दूसरे और तीसरे नंबर के कच्चा तेल उत्पादक देश हैं।
2017 की शुरुआत से उत्पादन में भारी कटौती के जरिये ओपेक देश तेल की कीमतों को बढ़ाने में सफल रहे थे। इस कदम से कच्चे तेल की कीमतें 30 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर इस अक्टूबर में 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। इससे ओपेक देशों के राजस्व में भी काफी सुधार आया। लेकिन उत्पादक देशों ने जून में कठोर बाजार परिस्थितियों और अधिक कीमतों को देखते हुए उत्पादन कम कर दिया। सउदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फलीह ने कहा कि सउदी अरब ने मई में अपना उत्पादन मई के 99 लाख बैरल प्रति दिन से बढ़ाकर अक्टूबर में 1.7 करोड़ बैरल प्रतिदिन कर दिया है।