नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने रविवार को कहा कि उपभोक्ता संरक्षण कानून को सरल बनाने के मकसद से इसमें बड़े बदलाव के प्रस्ताव किए गए हैं। खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘1986 के उपभोक्ता संरक्षण कानून में कई खामियां थी और ई-कॉमर्स के दौर में वह व्यवहारिक नहीं रह गया था। इसीलिए इसमें बड़े पैमाने पर बदलाव की आवश्यकता थी। ’’ उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक स्थायी समिति के पास है और जल्दी ही इसे मंजूरी मिल जाएगी क्योंकि प्रस्तावित संशोधन में कुछ भी विवादास्पद नहीं है।
बढ़ेगा जुर्माना लगाने का अधिकार
पासवान ने कहा, ‘‘इसमें जिला उपभोक्ता मंच की जुर्माना लगाने का अधिकार 20 लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए तथा राज्य उपभोक्ता मंच के लिए एक करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए किए जाने के प्रावधान शामिल किए गए है।’’ मंत्री के अनुसार उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। पासवान ने कहा कि संप्रग शासन में खाद्य सुरक्षा कानून केवल 11 राज्यों में क्रियान्वित किया गया लेकिन अब इसे जल्दी ही सभी राज्यों में लागू किया जाएगा।
नए कानून में क्या है खास
उपभोक्ता फोरम में मामला चलाने के लिए वकील की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं, उपभोक्ता स्वयं फोरम के समक्ष पक्ष रखकर बहस कर सकता है। इसके अलावा जिला उपभोक्ता फोरम में यदि उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया जाता है तो प्रतिवादी को फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में जाने की अनुमति नहीं होगी। फोरम में मामला चलते समय यदि शिकायतकर्ता उपभोक्ता व प्रतिवादी के बीच सुलह होती है तो उसे मंजूरी दी जाएगी। फोरम के अधिकारों में बढ़ोतरी करने की पेशकश की गई है।