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महाराष्‍ट्र सरकार लेगी सस्‍ता लोन, होगा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट

तीन लाख करोड़ रुपए कर्ज के बोझ तले दबी महाराष्ट्र सरकार अब विकास कार्य के लिए विदेशों से चार फीसदी की दर पर पैसा लेने पर विचार कर रही है।

Shubham Shankdhar
Updated on: October 28, 2015 18:10 IST
महाराष्‍ट्र सरकार लेगी सस्‍ता लोन, होगा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट- India TV Paisa
महाराष्‍ट्र सरकार लेगी सस्‍ता लोन, होगा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट

मुंबई। तीन लाख करोड़ रुपए कर्ज के बोझ तले दबी महाराष्ट्र सरकार अब विकास कार्य के लिए विदेशों से चार फीसदी की दर पर पैसा लेने पर विचार कर रही है। यह बात राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कही। पिछले 10 वर्षों में महाराष्ट्र पर 1.94 लाख करोड़ रुपए कर्ज का बोझ बढ़ा है। महाराष्ट्र पर मार्च 2015 में कर्ज बढ़कर 3.18 लाख करोड़ रुपए हो गया जो, मार्च 2005 में 1.24 लाख करोड़ रुपए था। राज्य सरकार को 2015 में कर्मचारियों को वेतन के तौर पर 65,000 करोड़ रुपए देना होता है, जो 2005 में 19,000 करोड़ रुपए था। कर्ज के कारण महाराष्ट्र देश का सबसे अधिक ब्याज भरने वाला राज्य बन गया है। राज्य पर देय ब्याज 2015 में बढ़कर करीब 27,000 करोड़ रुपए हो गया, जो 2005 में 10,000 करोड़ रुपए था।

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मुनगंटीवार ने कहा हम चार फीसदी की ब्याज दर पर र्ज लेने पर विचार कर रहे हैं। चीन, जापान और सिंगापुर जैसे देश हमें कम ब्याज दर पर कर्ज देने के लिए तैयार हैं। लेकिन हम अपनी करंसी में भुगतान करना चाहते हैं न कि उनकी करंसी में। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले में सिंगापुर सरकार के साथ चर्चा की है लेकिन अंतिम फैसला अभी करना बाकी है। मुनगंटीवार ने कहा यदि हमें सालाना चार फीसदी ब्याज दर पर कर्ज मिलता है तो हम अगले चार साल में करीब 30,000-35,000 करोड़ रुपए बचा सकेंगे जिसका उपयोग बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर किया जा सकेगा।

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उन्होंने कहा पिछली सरकार ने 12 फीसदी ब्याज दर पर करीब 45,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। भारतीय जीवन बीमा निगम आठ फीसदी पर 35,000 करोड़ रुपए देने के लिए तैयार है। यदि हम इससे सहमत होते हैं तो हम चार फीसदी ब्याज बचा सकेंगे जो साल करीब 1,800 करोड़ रुपए बैठता है। उन्होंने आगाह किया कि सरकार को राजस्व बढ़ाने और व्यय घटाने की जरूरत है नहीं तो वित्तीय स्थिति और खराब होगी।

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