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सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टिट्यूट की जांच में सुरक्षित पाया गया मैगी: नेस्ल

नेस्ले इंडिया को मैगी मामले में बड़ी राहत मिली है। नेस्ले का लोकप्रिय प्रोडक्ट मैगी सीएफटीआरआई की जांच में सुरक्षित पाया गया है।

Dharmender Chaudhary
Updated on: April 12, 2016 11:33 IST
मैगी के सभी 29 सैंपल टेस्ट में हुए पास, नेस्ले ने इंस्टेंट नूडल को खाने के लिए बताया सुरक्षित- India TV Paisa
मैगी के सभी 29 सैंपल टेस्ट में हुए पास, नेस्ले ने इंस्टेंट नूडल को खाने के लिए बताया सुरक्षित

नई दिल्ली। नेस्ले इंडिया को मैगी मामले में बड़ी राहत मिली है। नेस्ले का लोकप्रिय प्रोडक्ट मैगी सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीएफटीआरआई) की जांच में सुरक्षित पाया गया है। सीएफटीआरआई ने कहा कि मैगी में लेड और कृत्रिम मोनोसोडियम ग्लूटामेट निर्धारित मात्रा से अधिक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत यह परीक्षण हुआ था। नेस्ले न यह जानकारी देते हुए यह बात दोहराई कि उसका यह ब्रांड मैगी खाने के लिहाज से सुरक्षित है।

मैगी को मिली बड़ी कामयाबी

कंपनी ने एक बयान में कहा, सीएफटीआरआई ने मैगी नूडल्स पर विश्लेषण रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी है। हमें रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराई गई है। हमें खुशी है कि सभी 29 नमूनों को सीएफटीआरआई ने सही ठहराया है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मैगी नूडल्स के नमने का मैसूर प्रयोगशाला में जांच का आदेश दिया था।

सीएफटीआरआई ने क्या कहा?

सीएफटीआरआई ने स्पष्ट किया कि हर एक नमूना नियम के अनुरूप मिला। एजेंसी ने साफ किया कि मैगी में ग्लूटॉमिक एसिड की मात्रा इसलिए हो सकती है क्योंकि इसमें टमाटर, पनीर, हाइड्रोलाइज्ड प्लांट प्रोटीन, वनस्पति प्रोटीन आदि इस्तेमाल किया जाता है। नेस्ले इंडिया ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे मौजूदा ग्लूटॉमिक एसिड और एडिटिव एमएसजी के बीच के अतर को बता सके। 2015 में जून से अक्टूबर के दौरान मैगी के बिक्री पर प्रतिबंध था। इसके कारण नेस्ले इंडिया को बड़ा नुकसान हुआ। कंपनी को जुलाई-सितंबर तिमाही में 64 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।

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