नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि पेट्रोल पर सबसे ज्यादा वैट मध्य प्रदेश में, जबकि डीजल पर सबसे ज्यादा वैट राजस्थान में है। केंद्र और राज्य दोनों के करों का हिस्सा पेट्रोल की खुदरा कीमत में 55 प्रतिशत और डीजल की खुदरा कीमत में 50 प्रतिशत है।
केंद्र सरकार वर्तमान में पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क व उपकर की उगाही करती है, जिसमें 1.40 रुपये बुनियादी उत्पाद शुल्क, 18 रुपये सड़क एवं अवसंरचना विकास उपकर और 2.50 रुपये कृषि एवं अवसंरचना विकास उपकर तथा 11 रुपये विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क शामिल है। डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क/उपकर 31.80 रुपये प्रति लीटर है, जिमसें 1.80 रुपये बुनियादी उत्पाद शुल्क, 18 रुपये सड़क एवं अवसंरचना विकास उपकर और 4.00 रुपये कृषि एवं अवसंरचना विकास उपकर तथा 8 रुपये विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क शामिल है। 16 जुलाई, 2021 की स्थिति के अनुसार पेट्रोल और डीजल पर खुदरा बिक्री मूल्य के प्रतिशत के रूप में कुल उत्पाद शुल्क/उपकर का भार क्रमश: 32.4 प्रतिशत और 35.4 प्रतिशत है।
पुरी ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 1,01,598 करोड़ रुपये और डीजल पर 2,32,296 करोड़ रुपये की उगाही उत्पाद शुल्क/उपकर के रूप में की है। पेट्रोल और डीजल पर सबसे कम वैट अंडमान और निकोबार में है, जहां पेट्रोल पर 4.82 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4.74 रुपये प्रति लीटर वैट है। मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर वैट 31.55 रुपये प्रति लीटर है, जो देश में सबसे ज्यादा है। राजस्थान डीजल पर सबसे ऊंचा 21.82 रुपये प्रति लीटर वैट वसूल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस कराधान से प्राप्त राजस्व का उपयोग सरकार की विभिन्न विकास संबंधी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में किया जाता है। उपकर का उपयोग बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जाता है और इससे रोजगार के अवसर भी सृजित होते हैं।
पूरे देश में पेट्रोल और डीजल के मूल्य को एकसमान बनाने की सरकार की कोई योजना नहीं है। यह बात पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को लोकसभा में कही। संसद सदस्यों उदयप्रताप सिंह और रोड़मल नागर द्वारा पूछे एक सवाल के जवाब में पुरी ने कहा कि पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की मूल्य को एकसमान बनाए रखने की कोई योजना सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। पेट्रोल और डीजल के मूल्य वैट, स्थानीय उगारी आदि जैसे विभिन्न घटक के कारण अलग-अलग बाजार में अलग-अलग होते हैं।
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