नई दिल्ली। दिवाली पर अपने घर को सजाने के लिए इस साल अगर आप चीनी सामान की जगह भारत में बने सामान का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपके लिए विकल्प आ गया है। कई भारतीय विनिर्माताओं ने दिवाली से पहले भारतीय लड़ियां और झालरों को बाजार में उतार दिया है। हालांकि चीनी सामान के मुकाबले इनकी कीमत कुछ ज्यादा है। माना जा रहा है कि भारतीय माल के बाजार में आने से लड़ियों, एलईडी बल्ब और डेकोरेटिव लाइटों के बाजार पर ड्रैगन का दबदबा कुछ कम होगा।
20% घट गई चीनी माल की बिक्री
व्यापारियों के अनुसार पिछले साल दिवाली पर चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान चलने से चीन की लड़ियों की बिक्री करीब 20 प्रतिशत तक कम हुई थी। इस साल भी डोकलाम विवाद के बीच व्यापारियों ने पहले से सावधानी बरतते हुए चाइनीज लड़ियों और अन्य लाइटिंग उत्पादों का आयात कम किया है। स्थिति को भांपते हुए कई स्थानीय विनिर्माताओं ने भी बाजार में देश में बनी लड़ियों, बिजली वाली मोमबत्ती और दीये उतार दिए हैं।
डोकलाम विवाद से व्यापारियों ने नहीं दिया चीनी माल का ऑर्डर
देश के प्रमुख थोक बाजार सदर बाजार के व्यापारियों का कहना है कि चीन से आयात के लिए चार-पांच महीने पहले आर्डर देना पड़ता है। लंबे समय से डोकलाम विवाद की वजह से उन्होंने माल अटकने की आशंका में काफी कम आर्डर दिए हैं। यही नहीं पिछले साल चीन से आयात किया गया काफी माल बच गया था, जिसे वे अबकी दिवाली खपाने का प्रयास करेंगे। दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा बताते हैं कि पिछले साल चीन के सामान के बहिष्कार को लेकर अभियान की वजह से चाइनीज लड़ियों की मांग 20 प्रतिशत तक घटी थी, इस बार इसमें 50 प्रतिशत तक कमी आने के आसार हैं।
ग्राहक कर रहे हैं मेड इन इंडिया माल की मांग
बवेजा कहते हैं कि पिछले साल व्यापारियों ने थोक में चाइनीज उत्पादों का आयात किया था, लेकिन बहिष्कार की वजह से उनका काफी माल निकल नहीं पाया था। हालांकि, इसके साथ ही बवेजा का यह भी कहना है कि कीमतों के मामले में आज भी भारतीय विनिर्माता चीन का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं, जिससे कारोबारियों को चाइनीज लड़ियां और अन्य लाइटिंग उत्पाद बेचने पड़ते हैं। सदर बाजार में इलेक्ट्रिकल सामान का कारोबार करने वाले मुकुंद शाह कहते हैं कि इस बार चाइनीज लड़ियों की मांग तो आ रही है, पर साथ ही ग्राहक मेड इन इंडिया की भी मांग कर रहा है। शाह कहते हैं कि चाइनीज झाालरों की कीमत जहां 20-30 रुपये से शुरू हो जाती है और 500 रुपये तक जाती है। वहीं भारतीय लड़ियां की शुरुआत 60-70 रुपये से होती है। कीमतों के मोर्चे पर चीन का मुकाबला करना मुश्किल है।
ढीली हो रही है चीनी माल की पकड़
सदर बाजार के कारोबारी तुलसीदास शर्मा कहते हैं कि इस बार दिवाली पर बेचने के लिए चीन से लड़ियों और अन्य लाइटिंग उत्पादों का आयात 40 प्रतिशत तक कम हुआ है। इसके अलावा ग्राहक भी अब भारत में बनी लड़ियों की मांग करते हैं, जिसकी वजह से हम दोनों तरह का माल बेच रहे हैं। प्रमुख लाइटिंग समाधान कंपनी एनटीएल लेमनिस के कार्यकारी निदेशक तुषार गुप्ता कहते हैं कि कभी दिवाली पर 80 प्रतिशत लाइटिंग बाजार पर ड्रैगन का कब्जा जरूर था, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है। इस साल यह आंकड़ा काफी नीचे आ गया है। गुप्ता कहते हैं कि चीन के लाइटिंग उत्पाद गुणवाा के मामले में काफी पीछे हैं। चीन से आयातित लड़ियां का इस्तेमाल एक दिवाली ही किया जा सकता है जबकि देश में बनी लड़ियां खरीदें तो उनका इस्तेमाल कई साल तक कर सकते हैं।
कुछएक प्रोडक्ट में अब भी चीन का कब्जा
एक अन्य व्यापारी जवाहर सेठी कहते हैं कि बेशक भारतीय विनिर्माता चीन की लड़ियों को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं, पर वास्तविकता यह है कि हम उनके जितना सस्ता माल नहीं बना रहे हैं। पाइप वाली एलईडी लड़ियां आज भी सिर्फ चीन से ही आ रही हैं। इनकी कीमत भी 600-700 रुपये से शुरू होती है, और ग्राहकों में इनकी काफी मांग है। उनका कहना है कि बेशक भारतीय विनिर्माताओं ने अपने रोशनी वाले उत्पाद उतारे हैं, पर अभी उनको कामयाबी कम ही मिल पा रही है।