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मानसून की रफ्तार घटने से खरीफ की बुवाई हुई प्रभावित: क्रिसिल

इस बार मानसून आपने प्रारंभ की सामान्य तिथि से एक सप्ताह पहले 23 जून को खरीफ फसल के रकबे के लगभग 93 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया था।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 19, 2021 20:57 IST
मानसून की सुस्ती से...- India TV Paisa
Photo:PTI

मानसून की सुस्ती से खरीफ बुवाई पर असर

नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को कहा कि 12 जुलाई तक पिछले 15 दिनों से मानसून की सुस्ती ने फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में खरीफ फसलों की बुवाई की गति को प्रभावित किया है। एजेंसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना है कि, अगर मानसून पूर्वानुमान के अनुसार सक्रिय नहीं होता है तो वर्षा की कमी वाले राज्यों में सोयाबीन, कपास और मक्का के रकबे में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।’’ इस मौसम में अब तक वर्षा की मात्रा दीर्घकालिक औसत (एलपीए) से सात प्रतिशत कम है। इस बार मानसून आपने प्रारंभ की सामान्य तिथि से एक सप्ताह पहले 23 जून को खरीफ फसल के रकबे के लगभग 93 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया था। 

रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘हालांकि, पिछले 15 दिनों (12 जुलाई तक) में मानसून की सुस्ती ने खरीफ की बुवाई की गति को प्रभावित किया है।’’ इसके अलावा, क्रिसिल ने कहा कि 16 जुलाई तक बुवाई का कुल रकबा पिछले साल से 12 प्रतिशत कम था। पिछले साल बुवाई में प्रगति अच्छी थी। वर्तमान बुवाई सामान्य (पिछले पांच वर्षों के औसत) से 4 प्रतिशत कम है। मौसम विज्ञान विभाग ने 10 जुलाई से मानसून के फिर से शुरू होने की भविष्यवाणी की थी। हालांकि, पिछले पांच दिनों (12-16 जुलाई) में बारिश औसत से छह प्रतिशत कम रही है। दक्षिण भारत में सामान्य से दो प्रतिशत कम रही है। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अधिक बारिश हुई। इस अवधि के दौरान कर्नाटक में 37 प्रतिशत की कमी देखी गई, जिसके बाद राज्य का कुल खेती का रकबा कम हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में सामान्य से 23 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। 

हालांकि, एजेंसी के मुताबिक इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इसकी प्रमुख फसल धान की बुवाई अगले एक महीने तक होती रहेगी। इसमें कहा गया है, “विपणन वर्ष 2021 में खरीफ फसलों पर इसके प्रभाव को समझने के लिए मानसून की स्थिति पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।” धान जैसी खरीफ फसलों की बुवाई आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है, जबकि कटाई अक्टूबर से शुरू होती है। 

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