नई दिल्ली। भारत की जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में औसत वेतन 2.52 लाख रुपए सालाना है जो फार्मास्युटिकल और कैपिटल गुड्स जैसी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज से काफी कम है। कम वेतन के कारण इस क्षेत्र में कर्मचारियों की भारी कमी हो रही है। एसोचैम-थॉट आर्बिट्राज रिसर्च इंस्टिट्यूट (टारी) की रिपोर्ट में कहा गया इसके अलावा काम करने की खराब परिस्थितियों और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मानकों के सीमित अनुपालन के कारण उद्योग में नौकरी ढूंढ़ने वालों की रूचि कम हुई है।
विनिर्माण क्षेत्र के अन्य उद्योग में औसत वेतन बेहतर हैं। मसलन, फार्मास्युटिकल्स में औसतन वेतन 5.09 लाख रुपए, पूंजीगत उत्पादों में 4.94 लाख रुपए, इलेक्ट्रॉनिक्स में 4.43 लाख रुपए, रसायन उद्योग में 3.97 लाख रुपए, वाहन में 3.77 लाख रुपए, निर्माण सामग्री में 2.88 लाख रुपए, धातु एवं धातु-उत्पाद 2.54 लाख रुपए होने के कारण ये उद्योग ज्यादा आकर्षक हैं। साथ ही घातक रसायन और गैस के लंबे प्रभाव के कारण फेफड़े और किडनी से जुड़ी बीमारियां होने के खतरे के कारण उद्योग कम आकर्षक है और युवा वर्ग का पसंदीदा काम नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया कि असंगठित क्षेत्र और लघु उपक्रम विनिर्माण प्रक्रियाओं अच्छी गुणवत्ता की सामग्री और आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के लिए नहीं जाने जाते। यही वजह है कि भारत में रत्न एवं जेवरात क्षेत्र की वृद्धि धीमी है। इसमें कहा गया, किसी भी उद्योग की सतत वृद्धि के लिए कौशल और नए विचार के साथ नई प्रतिभाओं की निरंतर आपूर्ति की जरूरत होती है। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, रत्न एवं जेवरात की कटाई, पालिशिंग, विनिर्माण तथा डिजाइन में महंगी मशीनों और साफ्टवेयर का उपयोग किया जाना चाहिए और युवाओं को वैश्विक स्तर उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।