नई दिल्ली। दूरंसचार बुनियादी ढांचा उद्योग के संगठन टाइपा का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में लंबे समय तक बिजली आपूर्ति ठप रहने या ग्रिड बंद होने की स्थिति में मोबाइल सेवाएं बाधित हो सकती हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पेट्रोल, केरोसिन या डीजल से चलने वाले जेनरेटर सेट पर 15 मार्च, 2018 तक प्रतिबंध लगाया दिया है।
टाइपा के महानिदेशक तिलक राज दुआ ने कहा कि हालांकि मोबाइल टावरों में उच्च क्षमता वाली ऐसी बैटरी लगी होती हैं जो कि ग्रिड में किसी तरह की विफलता पर तेजी से चार्ज हो जाती हैं लेकिन बिजली आपूर्ति में लंबी कटौती, ग्रिड विफल होने या किसी तरह की प्राकृतिक आपदा में मोबाइल टावर केवल बैटरी के भरोसे नहीं रह सकते और सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति में किसी बड़ी कटौती पर मोबाइल टावरों को सेवा सुचारू रखने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की जरूरत होगी जिनमें डीजल जेनरेटर शामिल है। डीपीसीसी ने पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण प्राधिकरण के फैसले के बाद पेट्रोल, डीजल व केरोसीन से चलने वाले जेनरेटर सैटों पर 15 मार्च 2018 तक रोक लगा दी है।
हालांकि अस्पतालों, नर्सिंग होम, रेलवे, हवाई अड्डों व बस अड्डों पर इनका उपयोग किया जा सकेगा। दुआ ने कहा कि इस लिहाज से मोबाइल टावरों को भी जरूरी सेवाओं की सूची में शामिल किया जाना चहिए।
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