नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2016-17 में बैंकों की लोन ग्रोथ 5.1 प्रतिशत के अब तक के सबसे निम्न स्तर पर रही। इसकी सबसे बड़ी वजह 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों के शुद्ध कर्ज में एक हजार अरब रुपए की कमी होना है। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों की लोन ग्रोथ में इस भारी गिरावट का बड़ा हिस्सा मात्र 10 कंपनियों के खाते में गया है। वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में 2016-17 में इन कंपनियों ने 33,571 करोड़ रुपए कम कर्ज उठाया।
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एसबीआई की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष ने कहा कि इसकी प्रमुख वजह कर्ज का कम उपयोग होना या आंतरिक स्रोतों से कर्ज का पुनर्भुगतान किया जाना या संपात्ति बिक्री करके कर्ज चुकाया जाना हो सकता है। अन्य वजह निजी इक्विटी भागीदारी के जरिए धन जुटाना भी हो सकता है।
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रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 में समाप्त वित्त वर्ष में बैंकों की लोन ग्रोथ 5.1 प्रतिशत रही। वर्ष 1951 के बाद से यह बैंकों की यह लोन ग्रोथ सबसे कम है तब बैंकों से कर्ज का उठाव मात्र 1.8 प्रतिशत ही बढ़ा था। वर्ष के दौरान कम लोन ग्रोथ की मुख्य वजह बांड इश्यू के जरिए अधिक धन जुटाना रहा है। नॉन-बैंकिंग वाले सस्ते स्रोत उपलबध होने के साथ कुल मिलाकर निजी क्षेत्र का क्षमता विस्तार में निवेश कम रहना है।