नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी में लोगों के लिए हैंड सैनीटाइजर्स की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इसकी बिक्री और स्टॉक के लिए आवश्यक लाइसेंस की शर्त को समाप्त करने का निर्णय लिया है। आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक, मंत्रालय ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स के प्रावधानों के तहत लाइसेंस लेने की शर्त को समाप्त कर दिया है। अधिसूचना में कहा गया है कि रिटेलर्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि इनकी बिक्री या स्टॉक एक्सपायरी डेट के बाद नहीं की जाएगी।
मंत्रालय को बहुत से आवेदन मिले थे जिसमें हैंड सैनीटाइजर को सेल लाइसेंस से मुक्त करने की मांग की गई थी। 27 जुलाई को जारी अधिसूचना के मुताबिक केंद्र सरकार ने यह माना है कि हैंड सैनीटाइजर्स कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न इमरजेंसी की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है और इसकी आसान उपलब्धता सुनिश्चित करना लोगों के हित में है।
फेस शील्ड, सर्जिकल मास्क, मेडिकल चश्मों के निर्यात नियमों में दी राहत
सरकार ने मंगलवार को फेस शील्ड, कुछ किस्म के सर्जिकल मास्क और मेडिकल चश्मों के निर्यात के नियमों में राहत दी, जिनकी कोरोना वायरस महामारी के कारण काफी मांग है। सरकार ने फेस शील्ड के निर्यात को पूरी तरह मुक्त कर दिया है, कुछ शर्तों के साथ 2/3 परत वाले सर्जिकल मास्क और मेडिकल चश्मों के निर्यात की अनुमति दी है। इससे पहले कोरोना वायरस महामारी के चलते 2/3 परत वाले सर्जिकल मास्क, मेडिकल चश्मों और फेस शील्ड के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
इन मास्क और चश्मों के निर्यात को प्रतिबंधित श्रेणी से निकालकर अवरोधित श्रेणी में शामिल कर दिया गया है, यानी इन वस्तुओं के निर्यात के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से अनुमति लेनी होगी। डीजीएफटी ने एक अधिसूचना में कहा गया है कि 2/3 परत वाले सर्जिकल मास्क, मेडिकल चश्मों की निर्यात नीति को प्रतिबंधित श्रेणी से अवरोधित श्रेणी में ला दिया गया है और फेस शील्ड के निर्यात को मुक्त श्रेणी में ला दिया है।
अधिसूचना में कहा गया है कि 2/3 परत वाले सर्जिकल मास्क के लिए मासिक निर्यात का कोटा चार करोड़ इकाई तय किया गया है। इसी तरह मेडिकल चश्मों के लिए प्रति माह 20 लाख इकाई का कोटा तय किया गया है। इन उत्पादों की कोविड-19 महामारी के कारण भारी मांग हैं।