नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) अपने कर्ज कारोबार को मजबूत बनाने और उसमें गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) को कम से कम रखने को सुनिश्चित करने के लिए सेवानिवृत्त बैंकरों की सेवाएं लेगी।
सूत्रों का कहना है कि एलआईसी बीमा के व्यावसाय में रहा है लेकिन कर्ज जोखिम आकलन और उसका समाधान करने संबंधी विशेषज्ञता उसके पास नहीं है। उन्होंने बताया कि एलआईसी ने पुराने फंसे कर्ज के निपटान के लिए एकबारगी निपटान योजना के लिए भी मानक संचालन प्रक्रिया तैयार कर ली है।
एलआईसी का मार्च 2016 की समाप्ति पर कुल 3.79 लाख करोड़ रुपए कर्ज पर था। यह कई बैंकों के दिए गए ऋण के मुकाबले बड़ा आंकड़ा है। मार्च 2016 की समाप्ति पर एलआईसी की 3.76 प्रतिशत राशि कर्ज में फंसी थी, जो कि एक साल पहले यह आंकड़ा 3.30 प्रतिशत पर था।
एकल प्रीमियम वाली बीमा पॉलिसी की बिक्री में अचानक तेजी आने से एलआईसी का नया प्रीमियम व्यावसाय 2016-17 में 25.8 प्रतिशत बढ़कर 1.22 लाख करोड़ रुपए हो गया। इससे पिछले साल यह 97,000 करोड़ रुपए रहा था। व्यक्तिगत आधार पर नया व्यावसाय 47 प्रतिशत बढ़कर 37,800 करोड़ रुपए हो गया। एक साल पहले यह 25,700 करोड़ रुपए रहा था।