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कोरोना के बीच LIC ने दी राहत, दावे के निपटान से जुड़ी शर्तों में दी ढील

सरकार नियंत्रित बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने दावे के निपटान से जुड़ी शर्तों में कुछ ढील देने का घोषणा की।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: May 08, 2021 13:02 IST
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Photo:LIC

कोरोना के बीच LIC ने दी राहत, दावे के निपटान से जुड़ी शर्तों में दी ढील

मुंबई। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच अपने ग्राहकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार नियंत्रित बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने दावे के निपटान से जुड़ी शर्तों में कुछ ढील देने का घोषणा की। कंपनी ने शुक्रवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि वर्तमान स्थिति में, जहां मौत किसी अस्पताल में हुई है, मौत के दावे का तेजी से निपटान करने के लिए उसने नगर निगम से मिलने वाले मृत्यु प्रमाणपत्र के बदले मृत्यु के वैकल्पिक प्रमाणों को मान्यता दी है।

मृत्यु के दूसरे प्रमाणों में सरकार/ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा)/सशस्त्र बलों/कॉरपोरेट अस्पतालों द्वारा जारी किया गया और एलआईसी के प्रथम श्रेणी के अधिकारियों या 10 साल सेवा चुके विकास अधिकारियों के हस्ताक्षर वाला, मृत्यु की स्पष्ट तारीख एवं समय को दिखाता अस्पताल से छुट्टी/मृ्त्यु का ब्यौरा, मृत्यु प्रमाणपत्र शामिल हैं। विज्ञप्ति में कहा गया कि इसे अंतिम संस्कार प्रमाणपत्र या संबंधित प्राधिकरण द्वारा जारी की गयी प्रमाणिक पहचान रसीद के साथ जमा करना होगा। वहीं दूसरे मामलों में पहले की तरह ही नगर निगम से मिलने वाला मृत्यु प्रमाणपत्र देना जरूरी होगा।

अस्पतालों को नकद भुगतान लेने की छूट

सरकार ने कोविड-19 संक्रमण का इलाज करने वाले अस्पतालों, डिस्पेंसरी और कोविड केयर केन्द्रों को मरीजों या उनके आश्रितों से दो लाख रुपये से अधिक का नकद भुगतान स्वीकार करने की छूट दी है। यह छूट 31 मई तक लागू रहेगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। इसके लिए अस्पताल को मरीज और भुगतान कर्ता के पैन या आधार कार्ड की प्रति और दोनों के बीच संबंध की सूचना रखनी होगी। सीबीडीटी ने कहा,‘ केंद्र सरकार यहा स्पष्ट करती है कि अस्पतालों, डिस्पेंसरी, नर्सिंग होम, कोविड केयर केंद्रों या कोविड मरीज का इलाज अन्य चिकित्सीय सुविधाओं को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 269 एसटी के संबंध में एक अप्रैल 2021 से 31 मई 2021 तक नकद भुगतान के लिए मरीज और उसकी तरफ से भुगतान करने वाली व्यक्ति का पैन या आधार तथा मरीज का भुगतान करता के बीच संबंध की जानकारी रखनी होगी।’ 

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