नई दिल्ली। पुणे के भीमा-कारेगांव हिंसा मामले में हिरासत में ली गई छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने जांच एजेंसी द्वारा उन पर लगा गए सभी आरोपों को मनगढ़ंत बताया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस जिस चिठ्ठी के आधार पर आरोप लगा रही है, वह पूरी तरह से फर्जी है।
सुधा ने कहा कि इस चिट्ठी के आधार पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों को फंसाने की कोशिश की जा रही है। आपको बता दें कि इसी हफ्ते पुणे पुलिस में देश भर में छापे मारकर 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। हालांकि एक दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने दखल देकर पांचों को पुलिस हिरासत की बजाए उनके अपने घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया था।
एक हस्तलिखित बयान में, भारद्वाज ने कहा कि वह पत्र जिसके बारे में पुणे पुलिस का आरोप है कि वह उन्होंने अपने एक साथी प्रकाश को लिखा था, वह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों और आधारहीन बातों को मिश्रण मात्र है। उन्होंने कहा कि वे कॉमरेड प्रकाश को नहीं जानती हैं। उन्होंने कहा कि बैठक, सैमिना, विरोध जैसी कानूनी और लोकतांत्रित गतिविधियों पर आरोप लगाया गया है कि यह सब माओवादियों की फंडिंग के लिए किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता तथा पेशे से वकील सुधा कहती हैं कि यह फर्जी पत्र न तो पुणे कोर्ट के सामने और न ही फरीदाबाद मुख्य न्यायिय मजिस्ट्रेट के सामाने पेश किया गया।
इससे पहले मीडिया से बातचीत में पुलिस ने शुक्रवार को भीमाकोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए पांचों कार्यकर्ताओं से संबंधित पत्र की जानकारी सार्वजनिक की थी। इससे पहले इस हफ्ते जनवरी में हुई हिंसा के मामले में पांच राज्यों में पुलिस ने छापे की कार्रवाई कर पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें हैदराबाद से वरवरा राव, मुंबई से वेरनॉन गोन्साल्विस और अरुण फरेरिया, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था।