मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को पूरा भरोसा जताया कि आरबीआई अगले वित्त वर्ष के लिए 12 लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम सरकारी उधारी को बिना किसी बाधा के जुटा लेगा। गवर्नर ने कहा कि महामारी की असाधारण घटना के चलते राजकोषीय संतुलन तय लक्ष्य से डगमगा गया है और उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया कि राजकोषीय घाटे के वित्त वर्ष 2020-21 में 9.5 प्रतिशत होने और वित्त वर्ष 2021-22 में 6.8 प्रतिशत होने पर रेटिंग एजेंसियों की क्या प्रतिक्रिया होगी।
उल्लेखनीय है कि रेटिंग एजेंसियां राजकोषीय घाटे के आंकड़े को आर्थिक मजबूती के प्रमुख संकेतक के रूप में देखती हैं। अधिक राजकोषीय घाटे के साथ महंगाई बढ़ती है, और आमतौर पर आरबीआई भी सरकार को इस तरह की चिंताओं के प्रति आगाह करता है। दास ने कहा कि सरकार के लिए ऋण प्रबंधक होने के नाते आरबीआई ने बजट से पहले ही वित्त मंत्रालय के साथ ऋण लेने पर चर्चा की थी।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के प्रभाव को देखते हुए एफआरबीएम के लक्ष्यों से विचलन अपरिहार्य था, क्योंकि केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों का राजस्व कुछ महीनों के लिए बहुत घट गया था।’’ दास ने कहा कि जहां तक आरबीआई का सवाल है, वह समग्र सरकारी उधार कार्यक्रम और ऋण-जीडीपी अनुपात की चिंता करता है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि हम 2021-22 में भी बिना किसी बाधा के सरकारी उधार कार्यक्रम को लागू कर पाएंगे। इस बारे में कोई संदेह नहीं है।’’