मुंबई। अनिल अंबानी की अगुवाई वाली दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) ने अपने 45,000 करोड़ रुपए के ऋण के पुनर्गठन के लिए एक नई योजना की पेशकश की है जिसमें 7,000 करोड़ रुपए के कर्ज को बैंकों द्वारा इक्विटी में बदलना तथा बहुलांश हिस्सेदारी उन्हें सौंपना शामिल है। कंपनी ने यह पेशकश ऐसे समय में की है जबकि उसकी एयरसेल के साथ विलय सहित कई अन्य योजनाएं सिरे नहीं चढ़ पाईं।
अगर यह ताजा बचाव प्रयास सिरे चढ़ जाता है तो भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई वाले बैंकों को इस कंपनी में कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी जबकि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी घटकर आधी या लगभग 26 प्रतिशत रह जाएगी।
कंपनी के कार्यकारी निदेशक पुनीत गर्ग ने कहा है कि ऋण पुनर्गठन योजना में RCOM द्वारा 17,000 करोड़ रुपए के ऋण के भुगतान के लिए परिसंपत्तियों की बिक्री के जरिए धन जुटाना शामिल है। उन्होंने कहा कि हालांकि, परिसंपत्तियों का कुल मूल्य 30,000 करोड़ रुपए से अधिक है लेकिन वे केवल 17,000 करोड़ रुपए जुटाने की सोच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 10,000 करोड़ रुपए रियल एस्टेट आस्तियों की बिक्री व कॉतिर्शयल डेवलपमेंट के जरिए जुटाए जाने हैं। इन परिसंपत्तियों में नवी मुंबई के निकट धीरूभाई अंबानी नॉलेज सेंटर शामिल है जो 100 एकड़ में फैला है। कंपनी 14,000 करोड़ रुपए मूल्य के अपने 122 मेगाहटर्ज स्पेक्ट्रम को भी बोली के लिए पेश करेगी। गर्ग ने कहा कि कंपनी अपने टावर कारोबार से 7000 करोड़ रुपए, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से 3000 करोड़ रुपए, डाटा सेंटरों की बिक्री से 4000 करोड़ रुपए जुटा सकती है।
उल्लेखनीय है कि RCOM के पास कर्ज चुकाने के लिए दिसंबर 2018 तक का समय ऋण पुनर्गठन समझौते के तहत है लेकिन उसे भरोसा है कि वह परिसंपत्तियों के जरिए धन जुटाने का काम मार्च 2018 तक कर लेगी। ऋणदाताओं ने नयी मौद्रीकरण योजना को अमली जामा पहनाने के लिए एसबीआई कैप को नियुक्त किया है ।
सोमवार के बंद भाव के हिसाब से RCOM का बाजार पूंजीकरण केवल 3900 करोड़ रुपए है। गर्ग ने इस संदर्भ में ऋण इक्विटी परिवर्तन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि नयी पुनर्गठन प्रक्रिया शुरू होने के बाद उद्यम मूल्य बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। इस बीच गर्ग ने पुष्टि की कि RCOM 2G व 3G वॉयस कारोबार में अपनी उपस्थिति को काफी कम कर रही है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि इसका कितने रोजगारों पर असर होगा।
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