नई दिल्ली। इनकम टैक्स विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अधिवक्ताओं द्वारा दी जाने वाली कानूनी सेवाएं GST के दायरे में आती हैं लेकिन कर भुगतान की जवाबदेही मुवक्किल पर बनती है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या वकीलों और विधि कंपनियों द्वारा उपलब्ध करायी जा रही कानूनी सेवाएं वस्तु एवं सेवा कर (GST) के तहत विपरीत (रिवर्स) शुल्क व्यवस्था के दायरे में आएंगी, इस पर केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) ने बयान जारी कर कहा, GST में कानूनी सेवाओं पर कराधान के मामले में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
यह भी पढ़ें :सरकार ने दिए होटल और रेस्टोरेंट को कीमत घटाने के निर्देश, जानिए कहां आपको 5% और कहां देना है 18% GST
बयान के अनुसार, अधिवक्ताओं द्वारा दी जाने वाली कानूनी सेवाएं GST के तहत भी विपरीत शुल्क व्यवस्था के अंतर्गत आती हैं। विपरीत या रिवर्स शुल्क का मतलब है कि कर भुगतान की देनदारी आपूर्ति करने वालों के बजाए वस्तु या सेवा प्राप्त करने वालों पर है।
यह भी पढ़ें : धीमी इंटरनेट स्पीड के बावजूद सबसे ज्यादा भारतीय करते हैं फेसबुक का इस्तेमाल, 24.1 करोड़ हुई एक्टिव यूजर्स की संख्या
CBEC ने कहा कि कानूनी सेवाओं से मतलब ऐसी किसी सेवा से है जो कानून की किसी भी शाखा में किसी भी रूप में सलाह, परामर्श या सहायता के रूप में उपलब्ध करायी गयी हो। इसमें किसी अदालत, न्यायाधिकण या प्राधिकरण के समक्ष प्रतिनिधि के रूप में दी जाने वाली सेवाएं शामिल हैं। यह व्यवस्था व्यक्तिगत अधिवक्ता और वकीलों की कंपनी पर लागू होती है।