वॉशिंगटन। अमेरिका की आव्रजन से जुड़ी दो संस्थाओं ने यहां की सरकार के खिलाफ दो याचिका दायर की हैं, जिसमें एच-1बी कार्य वीजा की लॉटरी प्रक्रिया में ज्यादा पारदर्शिता की मांग की गई है, जो विशेष तौर पर भारत के सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों के बीच लोकप्रिय है।
यह मुकदमा अमेरिकी इमिग्रेशन काउंसिल और अमेरिकी इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (एआईएलए) ने अमेरिकी गृह मंत्रालय और अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के खिलाफ दायर किया है, जिसमें एच-1बी लॉटरी प्रक्रिया में सरकारी दखल के बारे में सूचना मांगी गई है। बयान में कहा गया कि दोनों संस्थाओं ने आरोप लगाया है कि यूएससीआईएस कभी भी चयन प्रक्रिया के विवरण में स्पष्ट नहीं रहा है। अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल की विधि निदेशक मेलिसा क्रो ने कहा, यूएससीआईएस को जब अप्रैल के महीने में आवेदन सौंपे जाते हैं तो ऐसा लगता है कि यह ब्लैक बॉक्स में समा जाते हैं। इस याचिका का उद्देश्य है उस बॉक्स से सूचना निकालना और अमेरिकी जनता तथा इससे सीधे प्रभावित लोगों को बताना कि शुरू से लेकर अंत तक लॉटरी प्रक्रिया कैसे चलती है।
इस साल ज्यादातर आवेदन भारतीय कंपनियों की ओर से
अमेरिकी सरकार को H-1B Visa (सबसे लोकप्रिय अमेरिकी वीजा) के लिए करीब 2.50 लाख आवेदन मिले हैं। इनमें ज्यादातर या तो भारतीय कंपनियों की ओर से या फिर उन कंपनियों से हैं जिनका भारत में कारोबार अधिक है। यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) प्रभाग ने गुरुवार को कहा कि संसद द्वारा तय वीजा सीमा पूरी हो गई है। इनमें 20,000 ऐसे आवेदक हैं जिन्होंने अमेरिका में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित विषय (स्टेम) में उच्चतर शिक्षा हासिल की है। यूएससीआईएस ने हालांकि एक अप्रैल से प्राप्त एच-1बी आवेदनों की पूरी संख्या नहीं बताई। इस साल एक अक्टूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2017 के लिए इस लोकप्रिय वीजा के लिए आवेदन की अवधि एक अप्रैल से शुरू हुई।