नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि नोटबंदी का असर अनुमान के अनुरूप ही रहा है और इस दौरान बैंकों में भारी मात्रा में जमा नगदी से इसको लेकर गुमनामी समाप्त हुई और देनदारी तय करने में मदद मिली है। जेटली ने यह बात रिजर्व बैंक के यह कहने के एक दिन बाद कही है कि चलन से हटाए गए 15.44 लाख करोड़ रुपए के करीब-करीब सभी नोट बैंकों में लौट आए हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि 500 और 1,000 रुपए के नोटों को चलन से हटाने के फैसले का असर जैसा अनुमान था उसी के अनुरूप रहा है। इससे आर्थिक गतिविधियों पर एक से लेकर तीन तिमाहियों तक असर पड़ने का अनुमान था लेकिन मध्यम से लेकर दीर्घकाल में अनौपचारिक कारोबार के औपचारिक गतिविधियों में बदलने से अर्थव्यवस्था को इसका लाभ मिलेगा।
रिजर्व बैंक जो कि अब तक चलन से हटाए गए नोटों के बारे में आंकड़े देने से कतरा रहा था, ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि आठ नवंबर के बाद से 15.28 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोट बैंकों में लौट आए हैं। यह राशि चलन में रहे कुल नोटों का 99 प्रतिशत तक है। जेटली ने कहा कि नोटबंदी से हुई परेशानी के बावजूद पूरा देश इस बदलाव के लिए तैयार था। उन्होंने कहा, कोई यह नहीं कह रहा कि कालाधन पूरी तरह से समाप्त हो गया है। अभी भी कुछ लोग हो सकते हैं जो इस तरह से लेनदेन कर रहे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि काफी बड़ी राशि लौटी है।