नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) के दिन-प्रतिदिन के मामलों को तीन स्वतंत्र निदेशकों की एक समिति द्वारा संचालित करने की मंजूरी दे दी है। बैंक के शेयरधारकों द्वारा 25 सितंबर को बैंक की वार्षिक आम बैठक में बोर्ड में सात निदेशकों, जिसमें इसके अंतरिम एमडी और सीईओ एस सुंदर भी शामिल थे, उनकी पुन: नियुक्ति को अस्वीकार करने के बाद यह निर्णय लिया गया।
बैंक ने एक रेगुलेटॉरी फाइलिंग में कहा कि स्वतंत्र निदेशकों की समिति में निदेशक समिति की अध्यक्ष मीता मखान, सदस्य शक्ति सिन्हा, सदस्य सतीश कुमार शामिल हैं। यह समिति एमडी और सीईओ की विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करेगी। बैंक ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 27 सितंबर 2020 को मंजूरी दे दी है कि बैंक के दिन-प्रतिदिन के मामलों की देखरेख तीन स्वतंत्र निदेशकों से बनी एक निदेशक समिति (सीओडी) द्वारा की जाएगी।
प्रस्तावित 10 निदेशकों में से तीन यही निदेशक हैं, जिन्हें बैंक के शेयरधारकों द्वारा पुन: नियुक्ति के लिए वोट दिया गया था। बैंक ने रविवार की देर शाम अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में फिर से बैंक की वित्तीय स्थिति के बारे में चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। उसने कहा कि 27 सितंबर 2020 को लगभग 262 प्रतिशत की लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (एलसीआर) के साथ आरबीआई द्वारा आवश्यक न्यूनतम 100 प्रतिशत के खिलाफ जमा-धारक, बॉन्ड-धारक, खाता-धारक और लेनदार पूरी तरह से सुरक्षित घेरे में हैं।
अपने आखिरी नतीजे में लक्ष्मी विलास बैंक का टीयर वन रेश्यो -1.83 प्रतिशत था। जून तिमाही में बैंक का डिपॉजिट 21,161 करोड़ रुपए रहा। यह पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 27 प्रतिशत कम था। जबकि तिमाही दर तिमाही आधार पर देखें तो यह 1.3 प्रतिशत कम रहा। डिपॉजिटर्स घटने के कारण शुक्रवार को बैंक की सालाना आम बैठक में शेयर होल्डर्स ने बोर्ड के 7 लोगों की पुन: नियुक्ति के खिलाफ वोट दिया। बैंक के शेयरहोल्डर्स ने बैंक के जिन 7 लोगों के खिलाफ वोट किया था उनमें एन साईप्रसाद, नॉन एग्जिक्यूटिव और नॉन इंडिपेंडेंट डायरेक्टर, गोरिनका जगनमोहन राव, नॉन एग्जिक्यूटिव और नॉन इंडिपेंडेंट डायरेक्टर, रघुराज गुज्जर, नॉन एग्जिक्यूटिव और नॉन इंडिपेंडेंट डायरेक्टर, के आर प्रदीप, नॉन एग्जिक्यूटिव और नॉन इंडिपेंडेंट डायरेक्टर, बीके मंजूनाथ, नॉन एग्जिक्यूटिव और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर, वाई एन लक्ष्मीनारायण मूर्ति, नॉन एग्जिक्यूटिव और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर शामिल हैं।
इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि शेयरहोल्डर्स ने इन 7 लोगों की नियुक्तियों को ऐसे समय में खारिज किया है जब बैंक गंभीर वित्तीय समस्या से जूझ रहा है। बैंक के पास पूंजी नहीं और आने वाले दिनों में इसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लक्ष्मी विलास बैंक को फंड की सख्त जरूरत है। बैंक लंबे समय से खरीदार की भी तलाश कर रहा है लेकिन अभी तक बात नहीं बन पाई है। लक्ष्मी विलास बैंक फिलहाल Clix Capital के साथ विलय के लिए बातचीत कर रहा है।