नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के आने के बाद संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है जिसके कारण ऑफिस के वर्क कल्चर में काफी बदलाव देखने को मिला है। कर्मचारियों को घर से ही काम करने की ही सलाह दी जा रही है। सरकार ऐसे नियम लाने की तैयारी कर रही है, जिससे कोरोना संक्रमण को भी रोका जा सके और कर्मचारियों को घर से काम करने का विकल्प चुनने का मौका मिले। श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को न्यूज इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड के तहत खनन, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर्स के लिए वर्क फ्रॉम होम के लिए एक आदेश जारी किए हैं।
श्रम मंत्रालय ने कहा कि यह ड्राफ्ट सौहार्दपूर्ण तरीके से सर्विस से संबंधित मामले को औपचारिक बनाने के उद्देश्य से जारी किया गया है। द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, न्यूज इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड की धारा 29 के तहत केंद्र सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, खनन क्षेत्र और सर्विस सेक्टर के लिए मसौदा का मॉडल आदेश जारी किए हैं। वहीं उम्मीद की जा रही है कि श्रम मंत्रालय इस कानून को 1 अप्रैल 2021 में लागू कर सकता है।
IT सेक्टर को मिलेगी सहूलियत
श्रम मंत्रालय के ‘वर्क फ्रॉम होम’ ड्राफ्ट में सर्विस सेक्टर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पहली बार अलग मॉडल बनाया गया है। इस नए मॉडल में आवश्यकतानुसार संशोधन भी किए जा सकेंगे। बताया जा रहा है कि नए नियम में आईटी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए काम के घंटों का फैसला कर्मचारियों पर ही छोड़ा जा सकता है। श्रम मंत्रालय के अनुसार आईटी सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भी ड्राफ्ट में प्रावधान रखा गया है। ड्राफ्ट के मुताबिक, इस नए नियम से आईटी सेक्टर के कर्मचारियों को कई छूट और सुविधाएं दी जा सकती हैं।
ड्राफ्ट में कई अन्य सहूलियत
नए ड्राफ्ट में सभी श्रमिकों के लिए रेल यात्रा की सुविधा का भी प्रावधान रखा गया है। नए ड्राफ्ट में खनन क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए रेल यात्रा की सुविधाओं का भी प्रावधान किया गया है, जबकि इससे पहले यह सुविधा केवल कोयला खनन क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ही थी। वहीं कदाचार के दोषी या अनुशासन तोड़ने वालों के लिए इस ड्राफ्ट में सजा के नियम भी बनाए जा सकते हैं।
सरकार ने ड्राफ्ट पर मांगे सुझाव
श्रम मंत्रालय ने न्यू इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड (new Industrial Relations Code) पर आम लोगों से सुझाव मांगे हैं। यदि आप अपने सुझाव भेजना चाहते हैं तो 30 दिनों के भीतर श्रम मंत्रालय के पास भेज सकते हैं।
संसद के पिछले मॉनसून सत्र में पास किए गए थे 3 लेबर कानून
बता दें कि, संसद के पिछले मॉनसून सत्र में तीन लेबर कानून पास किए गए थे। ये तीन कानून- इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी, 2020 और ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड, 2020 थे। इन तीनों कानूनों की कड़ी आलोचना हुई और इनके विरोध में खासतौर पर उत्तर भारत में बड़े विरोध-प्रदर्शन भी हुए। पिछले साल मॉनसून सत्र में ही कोड ऑन वेजेज भी पास किया गया। ये चारों कानून पहले से मौजूद 44 लेबर कानूनों के साथ मिल गए।
इसलिए लाए जा रहे हैं कानून
इन कानूनों को लाने के पीछे सरकार का मकसद देश के मौजूदा श्रमिक कानूनों को आसान बनाना और इनमें मौजूद खामियों को दूर करना था। चूंकि, श्रम का मसला संविधान की समवर्ती सूची में आता है, ऐसे में इस विषय पर सैकड़ों की तादाद में राज्य और केंद्र के कानून मौजूद थे। अगले साल एक अप्रैल से 4 श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन से औद्योगिक संबंधों में सुधार की दिशा में एक नई शुरुआत होगी, जिससे अधिक निवेश जुटाने में मदद मिलेगी, हालांकि रोजगार सृजन का मुद्दा 2021 में भी एक महत्वपूर्ण चुनौती बना रहेगा।
जानिए श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने क्या कहा
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि मेरी कामना है कि नई श्रम संहिताओं के लागू होने के साथ ही नव वर्ष 2021 देश में विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगा और यह मजदूरी सुरक्षा, काम करने का स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण, सामाजिक सुरक्षा और सामंजस्यपूर्ण औद्योगिक संबंध भी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि हमारे 50 करोड़ कर्मचारियों के साथ ही उद्योग जगत के लिए यह वर्ष समृद्धि और विकास का होगा। उन्होंने कहा कि श्रम संहिताओं का मकसद वर्तमान श्रम कानूनों के जटिल ढांचे को सरल बनाकर रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना और साथ ही श्रमिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करना है।
श्रम सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि हम एक अप्रैल 2021 से चारों श्रम संहिताओं को लागू करना चाहते हैं। औद्योगिक संबंधों, सामाजिक सुरक्षा और ओएसएच संहिता पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने की समयसीमा जनवरी में खत्म हो जाएगी। चंद्रा ने कहा कि इन 4 कानूनों के लागू कर सरकार निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के साथ ही श्रमिकों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना चाहती है।